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योग व प्राकृतिक चिकित्सा से मातृत्व संरक्षण

लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन एवं यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन तथा इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर योगिक साइंसेज बेंगलुरु के संयुक्त तत्वाधान में 17वें दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का वर्चुअल उदघाटन प्रोफेसर ईश्वर भारद्वाज(डीन एकेडमिक, देव संस्कृति विश्विद्यालय हरिद्वार ने किया कार्यक्रम की अध्यक्षता फैकल्टी के प्रोफेसर इंचार्ज प्रोफेसर नवीन खरे ने की, कार्यक्रम के आयोजक एवं संचालक डॉ अमरजीत यादव (समन्वयक योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा संकाय) ने योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा मातृत्व संरक्षण पर प्रकाश डालते हुए प्रथम त्रिमाशिक में योगासन- कोणासन, मार्जरीआसन, त्रिकोणासन तथा द्वितीय त्रिमाशिक में वृक्षासन, वक्रासन, वीरभद्रासन, उत्थित त्रिकोनासन, तृतीय त्रिमाशिक में विभिन्न योगासन जैसा- भद्रासन, बालासन, आंजनेय आसन, मलासन व अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायम एवं ध्यान के माध्यम से जच्चा-बच्चा दोनों के लिए फायदेमंद है।

प्रोफ़ेसर आरजी सिंह(निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संकाय, बीएचयू) ने गर्भावस्था में योग के वैज्ञानिक महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किये, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गर्भावस्था में योग पर पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश में डॉ अमरजीत यादव द्वारा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के उन्नयन के संबंध में किये गए कार्यों एवं फैकल्टी के स्थापना आदि किये गए कार्यों के बारे में बताया, इसके पश्चात प्रोफेसर सोहनराज तातेड़ (पूर्व कुलपति, सिंघानिया यूनिवर्सिटी, राजस्थान) ने योग के साईंटिफिक उपादानों पर विस्तृत चर्चा तथा योग के विकास के लिये एकेडेमिक रिसर्च आदि करने पर विशेष बल दिया।

इसके प्रोफेसर सुरेश लाल बरनवाल,HOD, DSVV, Haridwar ने विभिन्न संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए गर्भाधान संस्कार की महत्ता पर बताया कि बच्चे के दैहिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास की नींव गर्भाधान संस्कार द्वारा संभव है। बीएचयू की प्रोफेसर डॉ. कल्पना पाटनी ने प्रीनेटल केयर और पोस्ट नेटल केयर की विस्तृत व्याख्या करते हुए तीनो ट्राइमेस्टर के बारे में बताते हुए प्रथम, द्वितीय, तृतीय ट्राइमेस्टर सरल आसनों का अभ्यास करना चाहिए एवं प्राणायाम की महत्ता को बताते हुए इससे होने लाभ को बताया एवं कुछ आसनों जिनका गर्भावस्था में निषेध है जैसे-अर्धमत्स्येन्द्रासन,भुजंगासन,चक्रासन, हलासन को वर्जित बताया।

इसके पश्चात प्रोफेसर एच एच अवस्थी पूर्व विभागध्यक्ष, रचना शारीर, बीएचयू ने बतया की गर्भावस्था के दौरान मानशिक, तनाव, अनिद्रा इत्यादि में योग की भूमिका तथा योगासन- सुप्तबन्धकोनासन, बन्धकोनासन, सेतुबंधासन, नाड़ी शोधन प्राणायाम के माध्यम से फर्टीलिटी को कैसे बढ़ाया जाए , डॉ संगीता सारस्वत (MBBS,MS) के द्वारा गर्भावस्था में योग के द्वारा शरीर मे एलासटिसिटी, पोजीशन, रिलेक्स तथा पाचन को बेहतर बनाया जा सकता है वीरभद्रासन, वृक्षासन, वज्रासन, मत्स्य क्रीड़ासन, ताड़ासन, कटिचक्रासन, अर्ध एवं पूर्ण तितली आसान, भ्रामरी, अनुलोम विलोम प्राणायाम तथा अपान, ज्ञान, आकाश मुद्रा आदि गर्भावस्था महिलाओं के लिए उपयोगी है।

डॉ. प्रकाश सी मालशे ने गर्भावस्था में योगासनो के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बारे में बताया फ़ैकल्टी के प्रोफ़ेसर इंचार्ज प्रोफेसर नवीन खरे ने फैकल्टी के बारे में बताया की यह योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा की देश की पहली विश्वविद्यालय है जो शिक्षा के साथ स्वास्थ्य जागरूकता का कार्य कर रही है। इस वेबिनार के दौरान देश विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक, प्रशिक्षक, तथा स्नातक- परास्नातक के समस्त छात्र/छात्राएं एवं देश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से सैकड़ो लोगों ने प्रतिभाग किया।

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