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मेडिकल, डेंटल व नर्सिंग काउंसिल खुली मगर उप्र फार्मेसी काउंसिल बंद क्यों: जितेन्द्र कुमार

लखनऊ। महामारी के दौर में जब प्रदेश के सभी अस्पताल मरीजों की चिकित्सा सेवा व्यस्त हैं। मरीजों की अधिकता और डॉक्टर, फार्मासिस्ट व पैरामेडिकल स्टाफ आदि के संक्रमित हो जाने से अधिकांश सरकारी व निजी अस्पताल, नर्से,फार्मासिस्ट व पैरामेडिकल स्वास्थ्य कर्मियों की अत्यधिक कमी से जूझ रहें हैं। जबकि वर्तमान में मरीजों को हमेशा से सबसे ज्यादा है। प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को दूर करने के लिए तत्काल प्रभाव से संविदा पर नियुक्ति के निर्देश दे दिये हैं, मगर प्रशासनिक अधिकारी, सरकार की मंशा और बेरोजगार फार्मासिस्टों की उम्मीदों पर पानी फेर रहें हैं। यह व्यथा डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन लखनऊ के ऑडिटर जितेन्द्र कुमार सिंह पटेल ने व्यक्त किया है।

श्री पटेल का कहना है कि सभी सरकारी कार्यालय खुले हुए हैं ,मेडिकल काउंसिल, नर्सिंग काउंसिल, डेंटल काउंसिल खुली हैं ताकि नए लोग रजिस्ट्रेशन करके कोविड में सेवा कर सके। बावजूद, नोटिस के साथ उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल बीते दो माह से बंद है। जबकि वर्तमान में यह काउंसिल डायरेक्टर के अधीन है। लिहाजा, काउंसिल के कर्मचारियों को फ्री में वेतन दिया जा रहा है। दूसरी तरफ हजारों की संख्या में ट्रेनिंग किये हुए फार्मासिस्ट पंजीकरण के लिए प्रतीक्षारत में है। फार्मासिस्ट एसो. की मांग है कि कॉउन्सिल खुलवा कर कार्य शुरू कराया जाए ताकि सैकड़ों फार्मासिस्ट अस्पतालों में कार्य कर सकें। अस्पतालों में प्रशिक्षित फार्मासिस्टों की कमी को दूर हो सके।

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