भारत में एक से बढ़कर एक बिजनेसमैन हुए हैं, लेकिन बिजनेस वुमन कुछ ही हुई हैं. इन्हीं में से एक नाम है किरण मजूमदार शॉ का जिन्होंने आज से 45 साल पहले ‘Biocon’ कंपनी की शुरुआत की, जो आज की तारीख में 32,000 करोड़ रुपये की वैल्यू रखती है.
लेकिन अब इस कारोबार का क्या होगा, इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है, क्योंकि किरण मजूमदार शॉ की कोई संतान नहीं है.
भारत में कई कारोबारी घरानों के लिए ये बड़ी परेशानी है कि उनके पास अरबों डॉलर के एंपायर को संभालने वाला कोई वारिस ही नहीं है. किरण मजूमदार शॉ का भी नाम इन्हीं में शामिल है. बीते साल अक्टूबर में उनके पति जॉन शॉ का 73 साल की उम्र में निधन हो गया था. किरण की भी उम्र अब 70 साल हो चुकी है.
सिर्फ 10,000 रुपये से शुरू की बायोकॉन
किरण मजूमदार शॉ ने 1978 में मात्र 10,000 रुपये के निवेश से बायोकॉन की शुरुआत की थी. ये देश की पहली ऐसी कंपनी थी जिसने अमेरिका और यूरोप को एंजाइम्स का एक्सपोर्ट करना शुरू किया था. आज भी ये देश की सबसे बड़ी जेनेरिक एपीआई ( दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाले फॉर्मूला) बनाने वाली कंपनियों में से एक है.
करियर की आपाधापी में किरण मजूमदार-शॉ को प्रेम करने का समय भी नहीं मिला. उजॉन शॉ से उनकी शादी 1998 में जाकर हुई. दोनों के बीच की प्रेम कहानी भी काफी खास है. जॉन शॉ और किरण मजूमदार की पहली मुलाकात 1990 के आसपास हुई थी. जॉन एक यूरापीय कंपनी में काम करते थे. बेंगलुरू में मुलाकात के दौरान दोनों को एहसास हुआ कि उनके बीच काफी कुछ कॉमन है. बाद में जॉन को उनकी कंपनी ने यूरोप वापस बुला लिया, लेकिन उन्हें किरण की याद सताने लगी. उन्होंने किरण से शादी करने के लिए अर्ली रिटायरमेंट ले ली.
किरण मजूमदार-शॉ की कोई संतान नहीं है, लेकिन अभी तक उनकी तरफ से इस तरह की कोई चर्चा नहीं की गई है जिसमें ये साफ किया गया हो कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा. हालांकि बाजार पर नजर रखने वालों का मानना है कि ऐसी हालात में बायोकॉन प्रोफेशनल्स के हाथ में कारोबार की कमान सौंप सकती है, या किरण मजूमदार शॉ ट्रस्ट बनाकर रतन टाटा की तरह बाहर से कंपनी की कमान अपने पास रख सकती हैं.