उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के भैरमपुर गांव के 25 वर्षीय मंजीत भी शामिल है।
टनल से बाहर निकालने में हो रही देरी से परिवार वाले चिंतित हैं।मंजीत के पिता उत्तरकाशी में ही हैं। यहां मां बेटे की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना कर रही हैं। मोबाइल पर बेटे का फोटो देखकर फफक पड़ती है। शुक्रवार रात एसडीएम अश्विनी कुमार सिंह मंजीत के घर पहुंचे और परिवार को ढांढस बंधाया।
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मंजीत की मां चौधराइन ने बताया कि उनके बड़े बेटे की मुंबई में एक हादसे में मौत हो गई थी। छोटा बेटा मंजीत मेहनत मजदूरी कर परिवार के भरण पोषण में मदद करता है। वह दिवाली से पहले उत्तराखंड में मजदूरी करने गया था। सुरंग हादसे की जानकारी मिलने के बाद से ही उनका रो-रोकर बुरा हाल है। मंजीत के पिता उत्तरकाशी में घटनास्थल पर ही मौजूद हैं।
मंजीत के परिवार को गांव के कोटेदार वीरेंद्र के जरिए राशन उपलब्ध कराया गया है। एसडीएम अश्वनी कुमार सिंह ने बताया कि मंजीत के परिवार का हाल-चाल जानने के लिए शुक्रवार रात करीब 8:00 बजे वह स्वयं पहुंचे। परिवार को खाने के लिए राशन, दाल, खाद्य तेल समेत अन्य जरूरी सामग्री उपलब्ध कराई गई है।आश्वासन दिया गया है वह लोग किसी प्रकार की फिक्र न करें।
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मोबाइल पर अपने बेटे की फोटो देखते हुए मंजीत की मां चौधराइन ने कहा कि साहब अब बर्दाश्त के बाहर है। मेरा बेटा कब आएगा। एक-एक दिन इंतजार कराया जा रहा है, क्या सरकार के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि जल्दी से जल्दी उनके बेटे सहित सभी फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा सके।
भाई दूज पर्व बीत गया, लेकिन सुरंग में फंसे मंजीत की 15 वर्षीय बहन रंजना भाई के आने और उसके माथे पर मंगल तिलक करने का इंतजार कर रही है। रंजना बताती हैं कि उसके भाई मंजीत ने दीपावली के बाद आने को कहा था, लेकिन सपने में भी नहीं सोचा था कि भाई सुरंग में फंस जाएगा। उसका मन बेचैन जरूर है, लेकिन उसका भाई वापस आएगा। जब भाई घर आएगा तो तिलक लगाकर स्वागत करूंगी।