रोहिंग्या मुस्लिमों पर दुनियाभर के दबाव का सामना कर रहे म्यांमार ने चीन के साथ 33 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। जिनसे चीनी ड्रेगन की हिंद महासागर में पैठ और गहरी हो जाएगी। भारत के लिहाज से इसे चिंताजनक माना जा रहा है। इन समझौतों से चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना में म्यांमार की भागीदारी पर भी मुहर लगाई है।
अपने दो दिवसीय म्यांमार दौरे के आखिरी दिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को म्यांमार की काउंसलर आंग सान सू की से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों में 33 बड़े समझौतों पर दस्तखत किए गए। वन बेल्ट वन रोड चीन के नए व्यापार मार्ग को रेखांकित करता है जिसे 21वीं सदी का रेशम मार्ग कहा जा रहा है।
इससे पहले मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सू की के साथ लंबी चर्चा की। बातचीत के दौरान उन्होंने म्यांमार में विशाल बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहयोग का वादा किया। सू की ने जिनपिंग को बताया कि म्यांमार-चीन आर्थिक गलियारे के निर्माण को बढ़ावा देना और परिवहन, ऊर्जा, उत्पादन क्षमता, मानवीय एवं सांस्कृतिक विनिमय, सीमावर्ती इलाकों और क्षेत्रीय मामले म्यांमार की प्राथमिकता में हैं।