भारत के सभी शहरों में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं। इन मंदिरों में शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति की पूजा की जाती है परन्तु माउंटआबू के अचलगढ़ में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग या मूर्ति की नहीं, बल्कि उनके पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। इस मंदिर से अनेक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। जो इस प्रकार हैं-
माना जाता है कि जिस पर्वत पर यह मन्दिर स्थित है। वह पर्वत भगवान शिव के अंगूठे की वजह से ही टिका हुआ है। एक मान्यता के अनुसार भगवान शिव का अंगूठा गायब होते ही यह पर्वत नष्ट हो जाएगा। इस मन्दिर में भगवान शिव के अंगूठे के नीचे एक प्राकृतिक गड्ढा बना हुआ है। इसमे कितना भी पानी डाला जाये, लेकिन यह कभी नहीं भरता है। इस गड्ढे में चढ़ाया जाने वाला पानी कहां जाता है, यह भी एक रहस्य है।
मंदिर की शिल्पकला और भव्यता बहुत खूबसूरत है। अचलेश्वर महादेव मंदिर परिसर के चौक में चंपा का विशाल पेड़ भी है। मंदिर के परिसर में द्वारिकाधीश मंदिर भी बना हुआ है। इसके अलावा मंदिर के गर्भगृह के बाहर वराह, नृसिंह, वामन, कच्छप, मत्स्य, कृष्ण, राम, परशुराम, बुद्ध व कलगी अवतारों की काले पत्थर से बनी भव्य मूर्तियां हैं।
यह मंदिर अचलगढ़ के किले के पास अचलगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित है। माउंट आबू में भगवान शिव के अनेक प्राचीन मन्दिर होने के कारण इसे अर्धकाशी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, वाराणसी भगवान शिव की नगरी है तो माउंट आबू उपनगरी है।