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राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस: अब साल में 48 दिन नहीं बल्कि एक दिन खायें दवा

• लगातार पांच सालों तक फाइलेरिया की दवा का सेवन ज़रूरी

• फाइलेरिया मरीजों का डब्ल्यूएचओ माॅडल पर हो रहा इलाज

औरैया। फाइलेरिया (हाथी पांव) बीमारी के साथ जी रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। इन मरीजों को अब साल में सिर्फ एक बार ही यह दवा खानी होगी। इससे भी अच्छी खबर यह है कि अब एक दिन की दवा के खाने से ही मरीज ठीक हो सकेगा। फाइलेरिया जैसी बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए अब प्रदेश में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मॉडल को अपनाया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक फाइलेरिया संक्रमित मरीज को तीन-तीन महीने के अंतराल पर 12-12 दिन दवा खानी पड़ती थी। इस तरह से एक मरीज को एक साल में कुल 48 दिन दवा खानी पड़ती थी, लेकिन अब प्रत्येक मरीज को साल में एक ही दिन दवा खानी होगी। उन्होंने बताया कि यदि फाइलेरिया का कोई भी मरीज लगातार पांच सालों तक फाइलेरिया से बचाव की दवा खा ले तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। साथ ही बताया की फाइलेरिया के कारण व बचाव के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए ही प्रत्येक वर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस मनाया जाता है।

जिला मलेरिया अधिकारी और डिप्टी सीएमओ (वीबीडी) डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि #फाइलेरिया रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेती हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा खाली पेट नहीं खानी है। दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार लोगों को यह दवा नहीं खानी। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उलटी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। यह स्वत: ठीक हो जाते हैं।

पॉथ संस्था के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ.शिव ने बताया की वर्तमान में 302 फाइलेरिया लिम्फोडिमा (हाथीपांव) और 475 हाइड्रोसील के मरीजों का इलाज चल रहा है। पिछले माह अभियान में फाइलेरिया के मरीजों को रोग प्रबंधन का प्रशिक्षण देते हुए किट बांटी जा चुकी है। इसी तरह शिविर लगाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहार में 11, दिबियापुर में 14, अछल्दा में 16, अजीतमल में 18 और अयाना और ऐरवाकटरा में 19 नवंबर को कैंप लगाकर नि:शुल्क ऑपरेशन किए जा रहें हैं।

लक्षण दिखें तो डाक्टर से संपर्क करें

डॉ.शिव ने बताया कि यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर चिकित्सा शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएँ। मरीज नियमित रूप से बताये गए दवा का सेवन करें और अपने परिवारजनों को भी चाहे वो मरीज न भी हों तो एमडीए अभियान के दौरान डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन जरूर करने के लिए प्रेरित करें।

ऐसे करें बचाव

फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।

रिपोर्ट -शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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