नई दिल्ली। नाविक सागर अभियान -2 के तहत दुनिया का चक्कर काटने निकलीं भारतीय नौसेना की दो जांबाज महिला अफसरों लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए ने इतिहास रच दिया है। दरअसल दोनों महिला अफसरों ने अपनी नौका आईएनएसवी तारिणी से केप होर्न को पार किया। भारतीय नौसेना ने यह जानकारी दी।
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बेहद खतरनाक माना जाता है केप होर्न का रास्ता
नौसेना की अफसरों ने ड्रेक पैसेज से गुजरते हुए केप होर्न को पार किया। केप होर्न, दक्षिण अमेरिकी देशों के लिए जाने वाले खुला समुद्री रास्ता है। केप होर्न का इलाका अपनी खतरनाक और तेज हवाओं, तेज लहरों और खराब मौसम की वजह से सबसे खतरनाक समुद्री रास्ता माना जाता है। जो नाविक केप होर्न इलाके के समुद्री इलाके को पार करते हैं, उन्हें सम्मानपूर्वक केप होर्नर्स कहा जाता है। अब इस विशेष समूह में भारतीय नौसेना की ये दो महिला अफसर भी शामिल हो गई हैं।
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केप होर्न, अंटार्कटिका से 800 किलोमीटर दूर स्थित है और यह बर्फ से ढके अंटार्कटिका से सबसे करीब जमीनी इलाका है। केप होर्न से गुजरने के लिए न सिर्फ समुद्री यात्रा का अनुभव और बेहतरीन तकनीक समझ होनी चाहिए, साथ ही खराब मौसम से जूझने की ताकत भी होनी चाहिए। दशकों तक दुनियाभर में व्यापार केप होर्न के जरिए होता था, लेकिन यहां के चुनौती पूर्ण हालात और साल 1914 में पनामा नहर के खुलने के बाद यहां से होने वाला व्यापार बेहद कम हो गया है।
बीते साल नौसेना प्रमुख ने नाविक सागर परिक्रमा अभियान के दूसरे चरण को दिखाई थी हरी झंडी
नाविक सागर परिक्रमा के दूसरे चरण के तहत नौसेना की दोनों अफसर वैज्ञानिक खोज के उद्देश्य से दुनिया का चक्कर लगा रही हैं। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने बीते साल नाविक सागर परिक्रमा-2 को आईएनएसवी तारिणी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
इस अभियान के तहत नौसेना की महिला अफसर चार महाद्वीपों, तीन महासागरों और तीन चुनौतीपूर्ण केप्स को 240 दिन में पार करते हुए 23,400 नॉटिकल मील की दूरी तय करेंगी। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान और नौसैन्य इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा।