Breaking News

जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास दशकों से चल रहे है। सरकार द्वारा संचालित अभियान के देश ने दो स्वरूप देखे है। आपात काल के दौरान जनसँख्या नियंत्रण नीति जोर जबरदस्ती पर आधारित थी। लेकिन आपात काल की समाप्ति के बाद इसको नकार दिया गया। शेष अवधि में प्रचार व सहायता के माध्यम से जनसँख्या नियंत्रण का अभियान चलाया गया। लेकिन इसका भी पर्याप्त लाभ नहीं हुआ। जाहिर है कि यह विषय दशकों पुराना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय को उठाया था। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इस संबन्ध में एक मसौदा लेकर आई है। जनसँख्या नियंत्रण के दोनों स्वरूपों की विफलता सामने है। इसलिए नए रास्ते की तलाश का प्रयास किया जा रहा है। अर्थात यह विषय पुराना है,लेकिन समाधान का तरीका अवश्य नया है। आपात काल के दौरान ही ब्यालीसँवा संविधान संशोधन पारित किया गया था। इसके द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया था। ऐसे में केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा इससे संबंधित अधिनियम बनाना असंवैधानिक नहीं हो सकता। करीब दो दशक पहले भी सविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार को इससे संबंधित निर्देश दिया था। कहा गया कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाएं।

इस समय दर्ज याचिका में सविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई है। जनसँख्या नियंत्रण का संबन्ध विकास व संसाधनों से भी जुड़ा है। संसाधनों की भी एक सीमा होती है। जनसँख्या व संसाधनों के बीच एक संतुलन होना चाहिए। अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि से संसाधनों का अभाव होने लगता है। सबसे पहले इसका प्रतिकूल प्रभाव गरीबों पर पड़ता है। जिस वस्तु का अभाव होता है,उसकी कीमत बढ़ जाती है। धनी वर्ग उनको खरीद सकता है। जबकि गरीबों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। जनसँख्या की अनियंत्रित वृद्धि विकास में बाधक भी साबित हो सकती है। इससे संसाधनों पर दवाब बढ़ता है। लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है। भारत के लिए यह स्थिति विशेष चिंता का विषय है। भारत के पास विश्व मात्र दो प्रतिशत भूभाग है। जबकि यहां पर विश्व की बीस प्रतिशत जनसँख्या निवास करती है। भारत की जनसंख्या वर्तमान में एक सौ पैंतीस करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले कुछ वर्षों में चीन भी भारत से पीछे हो जाएगा।

जनसँख्या के मामले में भारत सबसे बड़ा देश हो जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए विधि आयोग के परामर्श से जो कदम उठाए हैं। जिस गति से जनसँख्या बढ़ रही है, उसके अनुरूप संसाधनों की व्यवस्था संभव ही नहीं है। राजनीतिक दल चाहे जो दावा करें,वह संसाधनों का सृजन नहीं कर सकते। जो लोग जनसँख्या नियंत्रण का विरोध करते है,उन्हें संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता के संबन्ध में भी विचार व्यक्त करना चाहिए। जनसंख्या का स्थिरीकरण होना अपरिहार्य है। उन्नीस सौ इक्यानबे से इक्यावन के बीच उत्तर प्रदेश की आबादी एक सौ बीस प्रतिशत बढ़ी थी। इसके बाद भी उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। तब प्रदेश की आबादी तेरह करोड़ थी। अब यह बढ़कर पच्चीस करोड़ से अधिक हो गई है। यह माना गया कि बढ़ती जनसंख्या से विकास व संसाधनों से संबंधित अनेक प्रकार की समस्याएं उतपन्न हो रही हैं।

इस आधार पर समाज में दो वर्ग है। एक वर्ग ने स्वेच्छा से जनसँख्या नियंत्रण को स्वीकार किया है। यह उनका समाज व देश के प्रति सहयोग भी है। दूसरे वर्ग ने जनसँख्या नियंत्रण को स्वीकार नहीं किया है। इस कारण संसाधनों पर दबाब बढ़ रहा है। सहयोग करने वालों को प्रोत्साहन देना चाहिए। जबकि ऐसा ना करने वालों को उन्हीं सीमित संसाधनों से सुविधा प्रदान करते रहने का औचित्य नहीं है।

जनसंख्या नियंत्रण परिवार नियोजन से अलग है। सरकारी संसाधन और सुविधाएं उन लोगों को उपलब्ध हो जो जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश जनसंख्या की नई नीति का विमोचन किया। इस नई नीति में जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग करने वालों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या समाज में व्याप्त असमानता समेत प्रमुख समस्याओं का मूल है। समुन्नत समाज की स्थापना के लिए जनसंख्या नियंत्रण प्राथमिक शर्त है। इस विश्व जनसंख्या दिवस पर बढ़ती जनसंख्या से बढ़ती समस्याओं के प्रति स्वयं व समाज को जागरूक करने का प्रण लेना चाहिए। नई नीति में जनसँख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता प्रयासों के क्रम में स्कूलों में हेल्थ क्लब बनाये जाने का अभिनव प्रस्ताव है। डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप नवजातों,किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था की भी बात है। सभी समुदायों में जन सांख्यकीय संतुलन बनाये रखने,उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की सहज उपलब्धता, समुचित पोषण पर भी जोर दिया गया। इसे राज्य विधि आयोग ने तैयार किया है। दो ही बच्चे अच्छे का वर्षों पुराने नारे का भाव भी है। जिनके दो ही बच्चे है,उन्हें प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव है। उन्हें अनेक प्रकार की छूट मिलेगी।

कानून लागू हुआ तो एक साल के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों और स्थानीय निकायों में चयनित जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वह इस नीति का उल्लंघन नहीं करेंगे। उल्लंघन पर निर्वाचन रद्द होगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार इस जनसंख्या नीति को लागू करने का काम कर रही है। जनसंख्या नीति का संबंध केवल जनसंख्या स्थिरीकरण के साथ ही नहीं है बल्कि हर एक नागरिक के ​जीवन में खुशहाली और समृद्धि का रास्ता उसके द्वार तक पहुंचाना भी है।

About Samar Saleel

Check Also

उत्‍तर रेलवे ने स्‍क्रैप बिक्री में बनाया नया रिकॉर्ड

• वित्‍त वर्ष 2023-2024 में स्‍क्रैप की बिक्री से 603.79 करोड़ रुपए अर्जित किए नई ...