Breaking News

जन्मजात गंभीर बीमारी होती है न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट

• राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ‘न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट’ की सर्जरी से तीन माह का मासूम अब स्वस्थ

• गर्भावस्था में आयरन की कमी होने से बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट की होती है संभावना

कानपुर। जनपद के क्षेत्र किदवईनगर के मो सलमान की पत्नी ने इसी वर्ष 23 मार्च 2023 को जिला महिला चिकित्सालय, डफ्रिन में अपने पहले बेबी को जन्म दिया। बच्चे को गोद में लेकर स्वजन दुलराते, इसके पहले ही चिकित्सकों ने उन्हें मासूम की जन्मजात गंभीर बीमारी न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट बारे में बताया। रीढ़ की हड्डी में फोड़े का जल्द से जल्द ऑपरेशन कराने की सलाह दी। पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह बच्ची का निजी अस्पताल में इलाज करा पाते, लेकिन जब पता चला कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत बच्ची का नि:शुल्क उपचार हो सकता है तो उनको राहत मिली।

जन्मजात गंभीर बीमारी होती है न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह ने बतौर परामर्शदाता उनकी मदद की। उन्होंने तीन माह के मासूम को लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहियाअस्पताल के लिए रैफर किया। जून के तीसरे सप्ताह में ऑपरेशन की तिथि मिली।

आरबीएसके टीम की मदद से परिवारजन लखनऊ पहुंचे और वहां प्रारंभिक जांच करने के बाद 25 जून 2023 को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का सफल ऑपरेशन हुआ। पाँच दिन वहां रोकने के बाद बच्ची को उसके घर भेज दिया गया। अब बच्चा स्वस्थ्य और तंदुरूस्त है। पिता सलमान बेहद खुश हैं कि उनके बच्चे के इलाज में एक भी रुपये नहीं लगे और सभी सुविधाएं जैसे दवा, जांच आदि भी निःशुल्क मिली।

👉जब बलगम के साथ आया खून तब आशा दीदी ने की मदद

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन का कहना है कि 11 जन्मजात विकारों सहित शून्य से 18 साल के किशोर-किशोरियों के 44 स्वास्थ्य दशाओं पर आरबीएसके टीम काम करती है। जिले के सभी प्रसव केंद्रों में जन्म लेने वाले नवजातों में किसी किस्म का विकार मिलने पर परीक्षण कराया जाता है। इसके बाद आरबीएसके के माध्यम से ऐसे बच्चों का नि:शुल्क उपचार कराया जाता है।

जन्मजात गंभीर बीमारी होती है न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश ने बताया कि बच्चों में यह बीमारी जन्मजात होती है और इसके होने का कोई खास कारण नहीं होता है। लेकिन समान्यतः गर्भावस्था में आयरन की कमी होने से बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट होने की संभावना रहती है। पूर्वोत्तर भारत में यह बीमारी एक हजार बच्चों में पांच से छह बच्चों में होती है।

वहीं अन्य क्षेत्रों में एक हजार में एक बच्चे में यह बीमारी मिलती है। उन्होंने बताया – गर्भावस्था में आयरन की गोली खाने से इस बीमारी को काफी हद तक बचाया जा सकता है। वहीं बच्चों में होने वाले इस जन्मजात बीमारी का इलाज छह महीने के अंदर करा दिया जाए तो बच्चे के पूरी तरह ठीक होने का अवसर अधिक होता है। इसमें देरी करने पर बीमारी बड़ी होती जाती है जो बच्चें को बाद में अपंग या लकवाग्रस्त कर देती है। यही नहीं दो से तीन साल होते होते बच्चे की मृत्यु होने का खतरा भी रहता है।

👉काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हरकी पैड़ी में बनेगा कॉरिडोर, 2024 में शुरू हो सकता है काम

आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह ने बताया की न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट के दो मुख्य विकृति पहली हाइड्रोसेफेलिस (दिमाग में पानी भर जाना) और दूसरी स्पाईनाबाईफीडा (रीड़ की हड्डी पर फोड़ा) है। आमतौर पर निजी अस्पतालों में यह इलाज 80 हजार से एक लाख रुपये में होता है। लेकिन राष्ट्रीय बाल स्वाथ्य कार्यक्रम के तहत इसका इलाज पूरी तरह नि:शुल्क किया जाता है। जनपद में वर्ष 2021 से अब तक न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट से ग्रस्त कुल 24 बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

About Samar Saleel

Check Also

अहंकार जीवन को समाप्ति की ओर ले जाता है- पण्डित उत्तम तिवारी

अयोध्या। अमानीगंज क्षेत्र के पूरे कटैया भादी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन ...