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नई शिक्षा नीति भविष्य में व्यापक परिवर्तन लाने वाली साबित होगी: डॉ. दिनेश शर्मा

लखनऊ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को समग्र रूप से प्रदेश के शिक्षण संस्थाओं में क्रियान्वयन हेतु उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स की आज यहां विधानसभा स्थित कार्यालय संख्या-80 में बैठक आयोजित की गई। बैठक में उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के क्रियान्वयन किए जाने की दिशा में विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर कमेटी के सदस्यों द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रदेश में क्रियान्वयन के संबंध में बहुमूल्य सुझाव भी दिए गए।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश को 34 वर्ष बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली है जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नया कदम है। यह भारत की शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करेगी। नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत भारत के विश्वविद्यालय विदेशों में अपने कैंपस खोल सकते हैं तथा विदेशों के विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस खोल सकते हैं अथवा मिलकर कार्य कर सकते हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सभी श्रेणी एवं वर्गों के छात्र छात्राओं को समानता पूर्वक गुणवत्ता परक शिक्षा प्रदान करेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्कूली शिक्षा ही गुणवत्ता परक विश्वव्यापी उच्च शिक्षा का आधार होगी।

नई शिक्षा नीति में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि 34 वर्षों के बाद देश में नई शिक्षा नीति के तहत जो शिक्षा का निर्धारण हुआ है उसमें प्राथमिक शिक्षा से लेकर शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर ध्यान दिया गया है। शिक्षा मातृभाषा में हो, बच्चों के समग्र विकास के विकल्प को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नई शिक्षा नीति का व्यापक प्रभाव दिखाई देगा। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के लिए विषय की चयन की स्वतंत्रता होगी। नई शिक्षा नीति भविष्य में व्यापक परिवर्तन लाने वाली साबित होगी।


डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि एक ऐसा प्रारूप बनाया जाए जिसमें रोजगार परक शिक्षा प्रारंभिक कक्षाओं से ही विद्यार्थियों को दी जा सके। जिससे विद्यार्थी अपनी शिक्षा के दौरान ही रोजगार की जो संभावनाएं हैं उन्हें हासिल कर सकें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के पूरी तरह से क्रियान्वयन होने से लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति का प्रभाव समाप्त हो जायेगा। अगले 20 वर्षों में हमारी शिक्षा का एक नया विजन इस शिक्षा नीति के माध्यम से दिखाई पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए जाने वाले शिक्षा के प्रारूप में यह भी तय किया जाएगा की शत-प्रतिशत नामांकन कैसे सुनिश्चित किया जाए। नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश में शिक्षा के प्रारूप को तैयार किए जाने हेतु गठित टास्क फोर्स में विभिन्न क्षेत्रों के विद्वजनों को शामिल किया गया है। इस टास्क फोर्स का उद्देश्य भारत के परिप्रेक्ष में शिक्षा एवं स्टडी इन इंडिया एंड स्टे इन इंडिया के लक्ष्य को लेकर विचार करते हुए नई शिक्षा नीति के आधार पर प्रारूप बनाना है।

उपमुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के संबंध में निर्देश दिया कि सभी संबंधित विभाग अपनी विभागीय स्टीयरिंग कमेटी बना लें। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उत्तर प्रदेश में क्रियान्वयन हेतु उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा विभाग को सम्मिलित करते हुए 16 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के समस्त पहलुओं पर निर्णय लिया जाएगा तथा अंतर विभागीय समन्वय स्थापित किया जाएगा। कमेटी की अगली बैठक आगामी 28 सितम्बर को होगी।

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) डॉ. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बहुत ही प्रासंगिक है। उत्तर प्रदेश में जब से योगी सरकार आयी है तब से निरन्तर शिक्षा में सुधार हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र शिक्षित होने के साथ-साथ रोजगार से जुडे़ इस पर ध्यान रखा जाना चाहिए। शिक्षा सबको मिले, छात्रों को परीक्षा का तनाव नहीं रहे, रूचि के अनुसार छात्र विषय का चयन कर सके, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू साहित आदि अन्य भाषाओं को पढ़ाने के लिए किन-किन जरूरतों की आवश्यकता होगी इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग एवं आईसीडीएस के मध्य समन्वय स्थापित करते हुए प्री- प्राइमरी के बच्चों की उच्च प्राथमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। बच्चों के त्रैमासिक परीक्षा के परिणाम के आधार पर एक करोड़ से अधिक छात्रों का 40 लर्निग आउटकम्स पर उपलब्धि स्तर का डाटा उपलब्ध है। त्रिमासिक परीक्षा (सेट-2) के परिणामों पर आधारित छात्र रिपोट कार्ड समस्त छात्रों को प्रेषित किये जा चुकेे है। प्ररेणा तकनीकी फ्रेमवर्क द्वारा विद्यालयों से रियल टाइम डाटा (अवस्थापना सुविधाएं लार्निग आउटकम्स क्लास रूम प्रेक्टिसेज आदि पर आधारित) प्राप्त करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा 2019 में मिशन प्ररेणा का लोकार्पण किया गया।

वर्ष 2022 तक प्राइमरी स्कूलों के समस्त छात्रों द्वारा बुनियादी साक्षरता एवं अंकगणितीय कौशल प्राप्त किये जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। शारदा कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2019-20 में तीन लाख से अधिक आउट ऑफ स्कूल बच्चों को विद्यालयों में नामांकित कराया गया। बैठक में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं समिति के उपाध्यक्षसतीश चंद्र द्विवेदी सहित समिति के अन्य सदस्यों में अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद डॉ. गिरीश चंद्र त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव प्राविधिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा एस राधा चैहान, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला, कुलपति एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय लखनऊ डॉ. विनय पाठक, पूर्व अध्यक्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अशोक गांगुली, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान वाचस्पति मिश्र, अंग्रेजी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय डॉक्टर निशा पांडे, उर्दू विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय डॉक्टर अब्बास नैयर तथा महानिदेशक सर्व शिक्षा अभियान एवं सदस्य सचिव विजय किरण आनंद एवं अन्य उपस्थित थे। इसके साथ ही जूम एप के माध्यम से पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक कृष्ण मोहन त्रिपाठी एवं वी.पी. खंडेलवाल, अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय प्रोफेसर अरविंद मोहन भी बैठक में शामिल हुए।

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