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NHAI : बिना टोल के भी कर सकते हैं यात्रा

नई दिल्ली। एनएचएआई NHAI टोल संग्रह की पांच नई तकनीकों पर विचार कर रहा है। जिसके भविष्य में टोल प्लाजा के बगैर भी टोल दिए ही यात्रा की जा सकती है।इनमें एक तकनीक जीपीएस/जीपीआरएस आधारित ई-टोलिंग की है। इसमें ईंट-गारे से बने टोल प्लाजाओं की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि ये काम कंप्यूटर के जरिए कंट्रोल रूम में बैठ कर किया जा सकेगा।इस प्रणाली की खास बात ये है कि वाहन चालक को केवल चली गई दूरी का टोल अदा करना पड़ेगा।

NHAIके मौजूदा

एनएचएआई NHAI के मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग में अगले टोल प्लाजा तक की दूरी, अर्थात 60 किलोमीटर के लिए टोल अदा करना पड़ता है। मौजूदा प्रणाली तभी सुविधाजनक है जब प्रत्येक वाहन में फास्टैग लगा हो।

तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक केवल 35 लाख वाहन स्वामियों ने फास्टैग खरीदा है।ज्यादातर वाहन अभी भी बिना फास्टैग के हैं, जिन्हें इलेक्ट्रानिक गेट के बजाय सामान्य गेटों से गुजरना पड़ता है और नगद भुगतान करना पड़ता है।

इसमें समय लगने से अक्सर टोल प्लाजाओं पर वाहनों की कतारें देखने को मिलती हैं। वर्चुअल प्लाजा इन सारे झंझटों से निजात देगा। इससे एनएचएआई को भी लाभ होगा। क्योंकि अनेक टोल प्लाजा बनाने और चलाने के बजाय केवल एक वर्चुअल प्लाजा पर खर्च करना होगा। एनएचएआई ने इस प्रणाली को आजमाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।

इसके प्रारंभिक परिणाम उत्साहवर्धक हैं।इस तकनीक में जीपीएस के जरिए वाहनों के हाईवे में प्रवेश और निकासी पर निगरानी रखी जाती है। इसके आधार पर वाहन जितनी दूरी तय करता है उतना टोल वाहन के प्रीपेड कार्ड से वसूला जाता है।

 

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