मोदी सरकार ने देश के सहकारी बैंकों की सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब देश के 1540 कोऑपरेटिव बैंकों (सहकारी बैंक) की बैकिंग को आरबीआई के हवाले कर दिया गया है। मोदी सरकार की बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह अहम फैसला हुआ।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट के अहम फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, “अभी तक आरबीआई कॉमर्शियल, शेड्यूल और राष्ट्रीयकृत बैंक का रेगुलेशन करती रही और कोऑपरेटिव बैंकों का नियमन नहीं करती थी। लेकिन अब बैंकिंग रेगुलेशन अमेंडमेंट 2019 में मूल बैकिंग रेगुलेशन एक्ट में सुधार करते हुए सहकारी बैंकों पर भी कॉमर्शियल बैंकों के मानदंड लागू होंगे।”
हालांकि, केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने यह साफ किया कि सहकारी बैंकों की प्रशासनिक व्यवस्था पहले की तरह कोआपरेटिव रजिस्ट्रार के रेगुलेशन के हिसाब से चलती रहेगी। सिर्फ सहकारी बैंकों की बैकिंग व्यवस्था पर ही आरबीआई के मानदंड लागू होंगे।
उन्होंने कहा, “देश के 1540 सहकारी बैंकों में आठ करोड़ 60 लाख लोगों ने पैसे जमा किए हैं। इन बैंकों में पांच लाख करोड़ का धन जमा है। लंबे समय से जमाकर्ता बचत सुरक्षा के लिए यह मांग उठा रहे थे। इस प्रकार मोदी सरकार ने एक हफ्ते के भीतर जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा के लिए यह दूसरा ऐतिहासिक फैसला किया है।”
जावड़ेकर ने कहा, “अब सहकारी बैंकों में पदाधिकारी बनने के लिए कुछ क्वालीफिकेशन होगी। जो शर्तों को पूरा करेगा, वही बन सकेगा। सीईओ की नियुक्ति के लिए पहले परमीशन लेनी होगी। इसको लेकर आरबीआई गाइडलाइंस जारी करेगी। आरबीआई के नियमों के अनुसार ऑडिट होगा। ऋणमाफी के लिए भी नियम का पालन करना होगा। अगर कहीं स्थिति बिगड़ती है तो सुपरसीड करके बैंक का कंट्रोल लेने का भी अधिकार आरबीआई को मिलेगा।”
आखिर यह फैसला क्यों हुआ? इसको लेकर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “देश में सहकारी बैंक अच्छा काम कर रहे हैं मगर कुछ बैंकों के गलत तरह काम करने से पूरा सेक्टर बदनाम होता है। ऐसे में जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे पहले बजट के दौरान पांच लाख तक डिपोजिट को संरक्षण दिया गया है। अब पांच लाख के नीचे लगभग 99 प्रतिशत डिपोजिटर्स आते हैं।”
उन्होंने कहा, “कोऑपरेटिव बैंको के काम में सुधार के लिए आरबीआई की सिफारिशें लागू करने का निर्णय बड़ा फैसला है।”