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आंदोलन पर आपत्तिजनक विदेशी आवाज

         डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

किसानों के नाम पर चल रहे आंदोलन पर कनाडा और पाकिस्तान की दिलचस्पी तो पहले ही उजागर थी,अब कई विदेशी तत्व भी इसमें शामिल है। इन सभी लोगों की भारत से कभी लगाव नहीं रहा। अलगाववादियों पर कनाडा व पाकिस्तान की मेहरबानी अवश्य रही है। ऐसे में आंदोलन के नेताओं और उनको समर्थन देने वालों की जिम्मेदारी व जबाबदेही बढ़ी है। उनको इन भारत विरोधी तत्वों को सीधा सन्देश देना चाहिए।

समस्या चाहे जैसी हो,यह भारत का आंतरिक मसला है। लेकिन दिल्ली के निकट सड़क से लेकर संसद तक हंगामा हो रहा है। लेकिन किसी आंदोलन समर्थक किसी नेता ने इन विदेशियों के बयानों पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने आरोप लगाया कि किसानों की आड़ में हिंदुस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय साजिश चल रही है। कुछ लोग इससे अपनी राजनीति चमकाने में लगे है।

हास्यास्पद प्रलाप

रिहाना,ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा आदि को भारत के किसानों से कोई मतलब नहीं है। भारत के किसान तो इन्हें जानते भी नहीं है। यदि जानते तब भी इनके प्रति कोई सम्मान भाव नहीं हो सकता। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों को एक दम से भारतीय किसानों की याद आ गई। जब आपकी नियत साफ न हो,तो सच बड़ी मजबूती से बाहर आता है।

एक ट्वीट ग्रेटा थनबर्ग ने किया। जिसमें एक टूल किट थी। जो टूल किट नहीं बल्कि अराजकता की किट ज्यादा थी। यह एक बड़ा षड्यंत्र हमारे लोकतंत्र के खिलाफ किया जा रहा है। आंदोलन पहले दिन से ही आशंकाओं में घिरा था। यह समझ से परे था कि कृषि कानूनों में किसानों के विरोध में क्या था। उनसे तो कुछ छीना ही नहीं गया था। इसके विपरीत उनके तो अधिकार बढ़ाये गए थे। ऐसे में यह किसान आंदोलन तो हो नहीं सकता था।

मर्यादा की अवहेलना

जब इस आंदोलन में भारत की एकता अखंडता के विरुद्ध बैनर दिखाई दिए,आतंकियों की रिहाई मांगों में शामिल हुई,तो आशंकाएं गहरी हो गई। रही सही कसर गणतंत्र दिवस पर पूरी हो गई। भारत के किसानों की समस्याएं हो सकती है,वह शांतिपूर्ण आंदोलन सत्याग्रह कर सकते है,लेकिन गणतंत्र दिवस पर लालकिले जैसा उपद्रव भारत के किसान नहीं कर सकते। किसानों के नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने भी नई दिल्ली में आंदोलन किया था। लेकिन उनके आंदोलन में कभी राष्ट्रीय भावना को शर्मशार करने वाले दृश्य कभी दिखाई नहीं दिए। उनके उत्तराधिकारी से यह उम्मीद कभी नहीं रही।

लेकिन बिडम्बना यह कि इस आंदोलन में शामिल व उसे समर्थन देने वाली पार्टियों के किसी नेता ने लालकिले के उपद्रव की निंदा नहीं की। लेकिन जो हुआ ठीक हुआ।जल्दी ही इस आंदोलन की कलई उतरने लगी है। अभी तक पाकिस्तान व कनाडा की भारत विरोधी ताकते इस आंदोलन का समर्थन कर रही थी,अब इसमें अनेक विदेशी तत्व भी शामिल हो रहे है। भारत विरोधी तत्वों का समर्थन इस आंदोलन पर अब भारी पड़ने लगा है।

भारत की अनेक विभूतियां भी अब तत्वों को जबाब देने के लिए सामने आ रही है। पॉप स्टार रिहाना,ग्रेटा थनबर्ग के बाद अब पॉर्न स्टार मिया खलीफा जैसे लोग भी इस आंदोलन के हमदर्द बने है। भारत की अनेक विभूतियां भी अब तत्वों को जबाब देने के लिए सामने आ रही है।

विदेशी बयानों का विरोध

भारत की महान विभूति लता मंगेशकर राजनीतिक विषयों से प्रायः दूर रहती है। लेकिन भारत विरोधी तत्वों के बयानों से वह भी आहत हुई,वह अपने को प्रतिक्रिया देने से रोक नहीं सकी। उन्होंने कहा कि भारत एक गौरवशाली राष्ट्र है। एक गौरवांवित भारतीय होने के नाते मेरा पूरा यक़ीन है कि बतौर राष्ट्र हमारी कोई भी समस्या हो या परेशानी, हम उसे सौहार्दपूर्ण तरीक़े से, जनहित की भावना के साथ हल करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।

मतलब साफ है विदेशियों को इसमें रोटी सेंकने का प्रयास नहीं करना चाहिए। पूर्व क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने  लिखा कि भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता। भारत में जो भी हो रहा है बाहरी ताकतें उसकी दर्शक हो सकती हैं लेकिन प्रतिभागी नहीं। भारतीय भारत को जानते हैं और फ़ैसला उन्हें ही लेना है। आइए एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रहें।

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