लखनऊ। वर्ल्ड किडनी डे हर साल 11 मार्च को दुनियाभर में मनाया जाता है. वर्ल्ड किडनी डे दिवस के अवसर पर अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ में एक निःशुल्क चिकित्सा सत्र “आशा- लिविंग वेल विद किडनी डिजीज” का आयोजन किया। शुरुआती स्टेज में इस बीमारी को पकड़ पाना मुश्किल है, क्योंकि दोनों किडनी 60 प्रतिशत खराब होने के बाद ही मरीज को इसका पता चल पाता है। आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में भी किडनी के मरीजों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है, देश में औसतन 14 प्रतिशत महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरूष किडनी की समस्या से पीड़ित हैं।
इस सत्र में किडनी के मरीजों ने प्रोफेसर अमित गुप्ता (डायरेक्टर एंड एचओडी नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट), डॉ. अजय कुमार (डायरेक्टर, मेडिकल सर्विसेज), डॉ. कर्नल अरुण कुमार (सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी), डॉ. शहजाद आलम (एसोसिएट कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी), डॉ. श्रुति सिन्हा, डॉ. अरुण कुमार (सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी) के साथ परिचर्चा कर रोग से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों, इलाज और बचाव के तरीकों को जाना।
“आशा- लिविंग वेल विद किडनी डिजीज” परिचर्चा सत्र का संचालन करने वाले प्रोफेसर अमित गुप्ता (डायरेक्टर एंड एचओडी नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट) ने बताया कि इस सत्र का उद्देश्य गुर्दे की बीमारियों और संबंधित समस्याओं के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करना है, किडनी को कैसे स्वस्थ रखना है और लोगों में सामान्य स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि अमूमन किडनी की बीमारी के शुरूआती लक्षणों में उल्टी आना, भूख में कमी, थकान और कमज़ोरी महसूस होना, पेशाब की मात्रा में कमी होना नींद नहीं आना और मांसपेशियों में खिंचाव जैसे प्रमुख लक्षण शामिल हैं। इससे बचने के लिए प्रोसेस्ड फ़ूड, चिप्स, नमकीन, अचार और चटनी का सेवन कम कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को खाने में खासकर प्रोटीन, सोडियम, पोटाशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस और तरल चीज़ों का सेवन करना चाहिए। साथ ही रोगी को अपना ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना होता है। रोगी को इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि उसका ब्लड प्रेशर नार्मल रहे। अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के प्रबंध निदेशक और सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने कहा, “हर साल दुनिया ‘वर्ल्ड किडनी डे’ मनाती है,इसका प्राथमिक उद्देश्य गुर्दे से संबंधित सभी बीमारियों जैसे किडनी से संबंधित बीमारियों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना है।
इसके लिए हमने अपोलोमेडिक्स स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में “आशा- लिविंग वेल विद किडनी डिजीज” का आयोजन किया। हर साल किडनी के दस लाख मामले दर्ज होते हैं और जीवनशैली में बदलाव, गलत खान-पान, तनाव की जिंदगी और बहुत से ऐसे कारणों से कारण कई लोगों की जान चली गई। किडनी रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है- स्वस्थ आहार, दैनिक योग और व्यायाम को अपनाना, तंबाकू के सेवन पर रोक, शराब की मात्रा को सीमित करना और किडनी रोगों सके बचाव के लिए लगतार अपने स्वास्थ्य पर ध्यान रखना।”