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यूँ ही कोई योगी नहीं बन जाता

             आशुतोष

बदलते हुए उत्तर प्रदेश के सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ। तभी तो 50% लोग चाहते है उन्हें। अपने दृढ़ विश्वास से लवरेज होकर बेदाग और दमदार काम का वखान अपने शब्दों में करते हैं। कौन भूल सकता है 2017 से पहले का वह दौर! प्रदेश में संसाधनो की कमी नहीं  फिर भी बिजली पानी को तरसता था प्रदेश!  आज हर तरफ रोशनी है सडक, पानी और सुविधाएँ भी। एक नये युग और और विकास की पटरी पर तीव्रगति से बढ़ रहा यह राज्य पर्यटन में भी अपनी पहचान बना चुका है। यूँ ही नही कोई योगी बन जाता है।

जनता के साथ तालमेल और सुख सुविधाओं को हर घर तक पहुँचाना पड़ता है। यही एक विकल्प है जो योगी को पुनः एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक लेकर आएगा। अपने सुशासन के दम पर, सारे विकल्प बौने साबित कर दिए हैं योगी ने। लंबे राजनीतिक अनुभव और कार्यकुशलता पुनः उनकी ओर आकर्षित हो रही है। विरोधी खेमा में उनका तोड़ न होना सारे विकल्पों पर भारी है। योगी आदित्य नाथ ने उन तमाम मुद्दों को रखा, जो उनके कार्यकाल में  उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा देते हैं। तत्परता के साथ विकास के अन्तर्गत, चहुंमुखी विकास ने उनकी छवि, एक कुशल और विकास पुरूष के रूप में,  जनमानस के पटल पर रखने में वे अभी तक सफल रहे हैं। उनकी बोलने की छवि भी एक सटीक वक्ता के तौर पर रही है।

पर्यावरण विकास, सामाजिक समरसता और सभी का विकास करने की उनकी दृढ़संकल्पता, उनकी सार्थक पहल अब जमीं पर दिखने लगी है। जिसमें, हिन्दुत्व के साथ सभी के लिए उनका समर्पण प्रमुख है। केन्द्र की योजनाओ को ज़मीन पर योगी ने बहुत अच्छी तरह से उतारा है। अपने कार्यकाल के दौरान लाॅ एण्ड आर्डर के साथ लैण्ड माफियाओ के खिलाफ उनकी कार्यशैली अव्वल रही है। जिससे, समाज में एक सुकून का माहौल बना है। छींटाकशी और आपराधिक मामलो में ह्रास हुआ है। यह उनकी ही देन है।

उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन के लिए जानी जाती है। किसानों की हालत 2017 के मुकाबले आज समृद्ध होती दिख रही। यहाँ के किसान फल, सब्जी, मक्का, गेहूँ, और धान के साथ मत्स्य, दूध का उत्पादन करते हैं। जो, देश के सभी हिस्सो में अब पहुँचने लगी है। अभी भी काफी कार्य इस दिशा में करने होंगे, जिसका जिक्र करना लाजिमी है। कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था के साथ वृहद बाजार और फसल बीमा के क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है क्योंकि यहाँ कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा की स्थिति लगातार बनी रहती है।

उद्योग जगत के लिए भी निवेशकों के लिए उचित माहौल तैयार करना, यहाँ एक चुनौती से भरा रहा है। जिसका, प्रयास सुशासन के जरिये हो रहा है। एक्सप्रेस-वे उसकी एक नींव है। सरकार इस दिशा में भी आगे बढ़ रही है। रोड, पुलिया, पुल, बडे शहरो मे फ्लाईओवर ब्रीज, आज इस बात की गवाह बने हैं, कि सरकार अपनी तय सीमा के अन्तर्गत कार्य कर रही है। साधन सीमित हो और आसमान फटा हो, तो एक बार में दूरूस्त होना संभव नही है। इसके लिए लगातार और सभी सरकारो को मिलकर काम करना होगा। प्रदेश का बुनियादी ढाँचा काफी बिगड़ा हुआ था, जिसे पटरी पर लाना आसान नही था। पर, अपने कुशल अनुभव और नेतृत्व की वजह से, वे एक पाक साफ छवि के साथ विगत पांच सालों में लोगों के प्रति  समर्पित होकर सदा उनके कार्यो को करते रहे हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में भी योगी आदित्यनाथ ने साहसिक कार्य किए हैं। जिससे साक्षरता दर बढ़ी और स्कूलो में उपस्थिति भी।यह चिंता का विषय जरूर रहा है कि आज भी शिक्षा की हालत अच्छी नही मानी जाती। लेकिन, सरकार के स्तर पर प्रयास किए गये हैं। जब आप परीक्षा देते हैं, तो एक बार में सफल हो जाएँ, ये जरूरी नहीं। इसलिए दोबारा परीक्षा देते हैं।  सरकार भी प्रयास करती रही है देखना होगा कब तक सफलता हाथ लगती है। भूमि विवाद भी यहाँ की एक अहम और झंझट पैदा करने वाली समस्या रही है। जिसके निदान के लिए सरकार के स्तर पर समय समय पर भू-हदबन्दी कानून में बदलाव होते रहे हैं। यह प्रक्रिया आज भी जारी है।

प्रदेश की फिजाओं में चुनावी विगुल बज चुका है। आने वाले दिनों में सभी पार्टीयां,  रैली में अपनी जगह तालाश रही हैं। प्रदेश के मैदाने शायद, इन दिनों सभी व्यस्त हैं अपने अपने तर्क देने में। लेकिन, एक छवि जो अपनी पहचान छोड जाते हैं, वह जन-मानस को आने वाले समय में तय करने का अवसर जरूर देते रहेंगे कि इस राज्य का सिंहासन किसे सौंपा जाए। तर्क-वितर्क के इस सभा में उन तमाम पहलुओ पर मतदाता अपने आप को कहाँ और किसके साथ खड़ा करते है यह आने वाला वक्त तय करेगा। लेकिन, जहाँ साफ छवि की बात होगी, सुशासन की बात होगी, योगी आदित्य नाथ का नाम सबसे पहले आएगा।

(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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