लखनऊ। विधि संकाय, लखनऊ विश्वविद्यालय पूर्व की भांति अपनी गौरवशाली परंपरा के अनुसरण में ज्ञान के अग्रसारण एवं उन्नयन हेतु उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्त पोषित शोध एवं विकास योजना 2022 के अंतर्गत “महिलाओं के विरुद्ध साइबर अपराध: अधिनिर्णयन और न्याय निष्पादन” के विषय पर आज (शनिवार) महाशिवरात्रि के पावन पर्व के दिन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस संगोष्ठी में मुख्य वकत्व प्रो डॉक्टर अतुल कुमार पाण्डेय (राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, भोपाल) के द्वारा दिया गया तथा इस संगोष्ठी के समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि एसएम सिंह रायकवार रहें।
इस संगोष्ठी का आयोजन विधि संकाय के प्रो डॉक्टर आशीष कुमार श्रीवास्तव के द्वारा प्रो बंशीधर सिंह की अध्यक्षता में किया जा रहा है। इस संगोष्ठी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य निरंतर बढ़ रहे साइबर अपराधों के परिपेक्ष में जनजागरूकता एवं ज्ञान का प्रसार करना जिससे दिन प्रतिदिन बढ़ रहे अपराध के दर में अंकुश लगाया जा सके।
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एक लोकतांत्रिक देश में विधि और विधि की प्रक्रिया को सुचारु रूप से स्थापित करने का उद्देश्य कानून के शासन को आगे बढ़ाना और समाज में सामाजिक मूल्य जैसे की समानता और स्वतंत्रता को बनाए रखना है। साइबर स्पेस आधुनिक युग की एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज है जो की तेज, सटीक, कागज रहित, पारदर्शी और जवाबदेह है, जिसका उपयोग सुशासन व्यस्वस्था के स्थापन और पालन में अतिआवश्यक होगा।
साइबर स्पेस अपनी इसी पारदर्शिता के कारण कई सवाल चिन्ह भी लेकर चलता है। हम सब जानते हैं कि वर्तमान समय में साइबर अपराध समाज के लिए जटिल समस्या का विषय बन चुका है, जैसे की इंटरनेट के साथ कंप्यूटर जो ई-गवर्नेंस और ई-कॉमर्स के लिए थे, महिलाओं के खिलाफ अपराध करने के लिए एक हथियार बन गए।
साइबर स्टॉकिंग, साइबर ताक-झांक, ऑनलाइन जुआ, साइबर मानहानि, हैकिंग, साइबर पोर्नोग्राफी, साइबर चाइल्ड पोर्नोग्राफी, फिशिंग, साइबर वित्तीय धोखाधड़ी आम बात हो गई है और भारत के लोग खासकर के महिलाएं बड़े स्तर पर पीड़ित हो रही हैं।
कानूनी शासन, साइबर प्राधिकरण, साइबर सेल, कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं परंतु तब भी महिलाओं से संबंधित साइबर अपराध अपनी जटिलताओं के कारण निरंतर बढ़ते चले जा रहे हैं जिनका निराकरण अत्यंत आवश्यक है।
यह मानते हुए कि महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों से संबंधित कानूनी व्यवस्था अच्छी तरह से मौजूद है और यह कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी कमी पीड़ित के स्तर पर इस संदर्भ में जागरुकता का अभाव है जिसके परिणामस्वरूप ऐसी संगोष्ठी का आयोजन सामाजिक एवं विधिक दृष्टिकोण से नितांत आवश्यक हो जाता है।
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संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। अधिष्ठाता प्रो बंशीधर सिंह ने स्वागत संदेश दे कर वार्ता को शुरू किया। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो अतुल कुमार पाण्डेय उपस्थित रहे, उन्होंने आधुनिक युग में साइबर स्पेस की भूमिका हेतु कई महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये तथा सच्ची घटनाओं को केंद्र में रखकर साइबर संबंधी जटिलताओं और परेशानियों को उजागर किया।
संगोष्ठी हेतु देश भर से 250 abstracts आए। जिनमे से 123 को सुवेनिर् में जगह मिली। संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों में 40 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किये गए। समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में एसएम सिंह रायकवार आये। उन्होंने साइबर स्पेस में विधि से जुड़ी जटिलताओं पर रोशनी डाली तथा प्रेरणादायक शब्दों से अपने भाषण को समाप्त किया। संगोष्ठी का समापन राष्ट्रीय गान से किया गया।