शाम-ए-अवध मशहूर है,यहां राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संगीतकार कलाकार हुए। जिनकी यशगाथा आज भी संगीत प्रेमियों की स्मृति में रहती है। लखनऊ विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में उद्घाटन व शैक्षणिक सत्र में दिन भर विचार विमर्श चला।
इसके बाद सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। प्रथम दिन मधुमय उमंग साँस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ प्राजक्ता की सरस्वती वंदना गायन से हुआ। वंदना के इस भक्तिमय माहौल अंत तक बनाये रखा गया। नृत्य समूह ने शिव स्तुति विषय पर नृत्य प्रस्तुत किया। बाद में एक जुगलबंदी नृत्य की प्रस्तुति की गई गई। अभी बसन्त पंचमी उत्सव बिता है।
विश्वविद्यालय में उस दिन मां सरस्वती का विधिवत पूजन अर्चन हुआ। इस सांस्कृतिक संध्या में भी भगवान कृष्ण को समर्पित बसंत नामक नृत्य प्रदर्शन किया गया। वास्तुकला पर आधारित तराना आकर्षक रहा। राम अक्षतम और होरी को भी खूब सराहना मिली।
संध्या का समापन विश्वविद्यालय के छात्रों के नृत्य व गायन से हुआ।