लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के विधि संकाय (Law Faculty) की प्रतिष्ठित संस्था विधिक सहायता केंद्र (Legal Aid Center) व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority) लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में, विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर बीडी सिंह (Pro BD Singh), विधिक सहायता केंद्र के अध्यक्ष डॉ अभिषेक कुमार तिवारी एवं उपाध्यक्ष डा भावना सिंह के मार्गदर्शन में विधिक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का आयोजन विमेन सेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय बालिका स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज के संयुक्त तत्वाधान में 4 मार्च को आयोजित किया गया। विधिक सहायता केंद्र ‘सभी के लिए न्याय तक समान पहुंच’ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से काम करता है और विधिक साक्षरता और जागरूकता प्रदान करके इस दिशा में सक्रिय प्रयास करता है। जागरूकता कार्यक्रम का विषय ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013’ था।
कार्यशाला का उद्देश्य इस अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाना था, जिसका उद्देश्य निवारक, निषेधात्मक और साथ ही उपचारात्मक उपायों को सुनिश्चित करके प्रत्येक महिला को उत्पीड़न से मुक्त एक सुरक्षित, संरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण प्रदान करना है। इस कानून ने भारतीय महिलाओं को कार्यस्थल पर अपने अधिकारों के लिए खड़े होने में सक्षम बनाया है और यह किसी भी भेदभाव और शोषण से मुक्त, अधिक न्यायसंगत और उचित कार्यस्थल वातावरण बनाने में एक अहम कदम है।
कार्यक्रम की शुरुआत विमेन सेल की अध्यक्ष प्रो विनीता लाल ने डॉ अभिषेक कुमार तिवारी, अध्यक्ष, विधिक सहायता केंद्र और विधिक सहायता केंद्र के सदस्यों के स्वागत से किया। प्राचार्य प्रो रश्मि बिश्नोई ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की महत्ता पर बात की तथा सभी का स्वागत किया। इसके उपरांत डॉ अभिषेक कुमार तिवारी ने सभी को संबोधित करते हुए विधिक सहायता केंद्र की कार्यशैली के विषय में बताया तथा कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के बारे में प्रारंभिक जानकारी दी।
इसके पश्चात विधिक सहायता केंद्र की सदस्या अंजसी मिश्रा ने केंद्र के संक्षिप्त परिचय और कार्यशाला के उद्देश्य के साथ इसकी कार्यप्रणाली को समझाया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सदस्या शिवांगी सिंह ने भंवरी देवी की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी और विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य के मामले में ऐतिहासिक फैसले का विस्तृत वर्णन किया, जिसमें भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशाखा दिशानिर्देश निर्धारित किए गए थे।
तत्पश्चात इरा उपाध्याय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की क्रमशः धारा 2 खंड (ध), (न) और (क) में परिभाषित ‘यौन उत्पीड़न”, “कार्यस्थल’, ‘पीड़ित महिला’ जैसी बुनियादी शब्दावली के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने शिकायत समितियों की संरचना के बारे में आगे बताया और इस तथ्य पर जोर दिया कि अधिनियम के अनुसार सभी कार्यस्थलों पर शिकायत समितियों के स्थापना कानूनी रूप से अनिवार्य है। अंत में श्वेता सिंगार ने शिकायत प्रक्रिया और नियोक्ता के कर्तव्यों के बारे में बताया।
सत्र का समापन विधिक सहायता केंद्र के छात्र संयोजक अंजसी मिश्रा एवं गरिमा मिश्रा, मेंबर विधिक सहायता केंद्र ने धन्यवाद ज्ञापन देकर किया। कार्यक्रम के अंत में शिवानी श्रीवास्तव, मेंबर विमेन सेल, ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन किया। यह कार्यक्रम प्रोफेसर विनीता लाल, महिला सेल की इंचार्ज तथा प्रोफेसर क्रांति सिंह, प्रोफेसर ज्योति, डॉ शालिनी श्रीवास्तव और डॉ प्रतिमा शर्मा के सहयोग से संपन्न हुआ।