आश्विन मास की द्वादशी को पद्मनाभ द्वादशी कहा जाता है। इस द्वादशी को भगवान विष्णु के पद्मनाभ रूप की पूजा की जाती है। इस द्वादशी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है तो आइए हम जानते है पद्मनाभ द्वादशी के बारे में-
पद्मनाभ द्वादशी
पद्मनाभ द्वादशी के दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान जागृतावस्था प्राप्त करने हेतु अंगडाई लेते है तथा पद्मासीन ब्रह्या “ऊँकार” ध्वति करते हैं। एक घट स्थापित कर उसमें पद्मनाभ (विष्णु) की एक स्वर्ण प्रतिमा डालें। चन्दन लेप, पुष्पों आदि से भगवान की प्रतिमा को पूजें। इससे भक्त को लाभ मिलेगा।
इस पद्मनाभ द्वादशी का खास है महत्व
इस वर्ष पद्मनाभ द्वादशी गुरुवार को पड़ रही है। गुरुवार के दिन पद्मनाभ द्वादशी व्रत होने से इसका प्रभाव बढ़ जाता है। भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करने से उनकी कृपा के साथ मां लक्ष्मी भी आशीर्वाद देती हैं। इस दिन व्रत रखने से न केवल यश तथा धन की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन में धन का कभी अभाव नहीं रहता है।
पद्मनाभ द्वादशी का महत्व
पद्मनाभ द्वादशी पापांकुशा एकादशी के अगले दिन मनायी जाती है। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के बारहवें दिन मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पद्मनाभ द्वादशी व्रत का पालन करने वाले भक्तों को जीवन भर समृद्धि प्राप्त होती है और मोक्ष मिलता है। साथ ही एकादशी तथा पद्मनाभ द्वादशी के व्रत से व्यक्ति को जन्म-मरण चक्र से छुटाकारा मिल जाता है और वह इस संसार से मुक्त हो जाता है।
शुभ कार्य प्रारम्भ के लिए अच्छी है पद्मनाभ द्वादशी
पद्मनाभ द्वादशी को बहुत शुभ माना जाता है। यदि आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। तो यह दिन बहुत खास रहेगा। पद्मनाभ द्वादशी के दिन किया गया कोई काम अच्छा परिणाम प्राप्त करता है। इसके अलावा किसी यात्रा का प्रारम्भ करने के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व है। यही नहीं जो भी भक्त आध्यात्मिक ज्ञान और सांसारिक सुख चाहते हैं वे इस दिन विशेष अर्चना कर सकते हैं। भगवान विष्णु के भक्त इस संसार को निरर्थक नहीं मानते बल्कि यहां खुशहाल जीव चाहते हैं। इस प्रकार भगवान पद्मनाभ की अर्चना से न केवल सांसारिक सुख में वृद्धि होगी बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होगी।
कैसे मनाएं पद्मनाभ द्वादशी
द्वादशी के दिन प्रातः उठकर पवित्रता से स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहने तथा मन से व्रत का संकल्प लें। उसके बाद भगवान पद्मनाभ को क्षीर से स्नान करा कर भाग अर्पित करें। उसके बाद धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य से आरती करें। साथ ही विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन करा दान दें। इस प्रकार पदमनाभ द्वादशी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
इस बात का ध्यान रखें कि पद्मनाभ द्वादशी के दिन शेष नाग पर बैठे भगवान की पूजा करें। इसके अलावा धूप, दीप, नैवेद्य के साथ ही भगवान को गुड़ का भोग जरूर लगाएं। विष्णु भगवान को गुड़ बहुत प्रिय है इसलिए पूजन सामग्री में गुड़ जरूर रखें। साथ ही इस केले के पेड़ की पूजा कर उसमें धूप और दीप से आरती करें। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।