लखनऊ। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश में चार चरणों के पंचायत चुनाव संपन्न हो गए हैं। इसके बाद 2 मई (रविवार ) को यूपी पंचायत चुनाव 2021 के नतीजे घोषित किए जाने है। ऐसे में अब मतगणना स्थगित किए जाने की मांग उठने लगी है, ताकि कोई वायरस से संक्रमित ना हो और वे मौत के मुंह में जाने से बच सकें।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर्मचारी एवं शिक्षक संगठनों के नेताओं ने कहा है कि चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से करीब 700 शिक्षकों की मौत से सभी लोग सहमें हुए हैं। ऐसे में मतगणना के दौरान भी संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। शिक्षक एवं कर्मचारी संगठनों ने सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में होने तक मतगणना को स्थगित करने की भी मांग की है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा, कलेक्ट्रेट मिनिस्टीरियल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्रा, इंदिरा भवन जवाहर भवन कर्मचारी महासंघ और राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे सहित अन्य कई संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार कर्मचारी विरोधी रवैया अपना रही है। कर्मचारी नेताओं ने दो मई को प्रस्तावित पंचायत चुनाव मतगणना का बहिष्कार करने का निर्णय लिया।
इससे पहले शिक्षकों व कर्मचारियों ने मतगणना का बहिष्कार करने की धमकी दी थी। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रशिक्षण के वक्त एक बेंंच पर तीन शिक्षक बैठे थे। यही नहीं, एक कमरे में 50 से 60 शिक्षक बैठे थे। प्रशिक्षण के बाद से ही शिक्षकों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आनी शुरू हो गई थी। जब कोरोना वायरस अपना पैर पसार रहा था, तभी हमने चुनाव आयोग से चुनाव टालने की मांग की थी।
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय सिंह ने कहा कि कई शिक्षकों ने इस पंचायत चुनाव में अपनी जान गंवाई है। क्या अब भी मतगणना कराना जरूरी है? आखिर उसे टाल क्यों नहीं दिया जाता, ताकि हम लोगों की जान बची रहे और हम अपने परिजनों के साथ सुरक्षित रहें। वहीं, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी का कहना है कि चुनावी ड्यूटी के दौरान हमने सरकार से सुरक्षा किट्स की मांग की थी लेकिन हमारी मांगो को पूरा नहीं किया गया और अब इसके कारण आज कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं और कुछ लोग तो इस महामारी में अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
हालांकि राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने शिक्षक संघ के इस दावे का खंडन किया है कि पंचायत चुनावों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था। बावजूद इसके संगठनों ने एक स्वर में कहा है कि मतगणना के दौरान मतगणना सेंटर पर आए हुए सारे कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षकगण सभी मतपत्रों को अपने अपने हाथों से चुनेंगे। ऐसे में ये कौन बता सकता है कि कौन संक्रमित है और कौन नहीं? क्योंकि जो सही और स्वस्थ दिख रहे हैं, उनको सही नहीं माना जा सकता। ऐसे में तत्काल राज्य निर्वाचन आयोग को आगे आकर मतगणना को तब तक डाल देना चाहिए जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती है।
कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि अव्यवस्थाओं के बीच मतगणना के लिए कर्मचारियों एवं शिक्षकों की ड्यूटी लगाना सीधे इन्हें मौत के मुंह मे धकेलने जैसा है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि देश में हर रोज करीब चार कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं, प्रदेश के हालात भी ठीक नहीं हैं। ऐसी स्थिति में कुछ दिनों की मतगणना प्रक्रिया रोकने में कोई सांविधानिक कठिनाई भी नहीं है।