लखनऊ (दया शंकर चौधरी)। देश का पसमांदा मुसलमान (Pasmanda Muslims) पांच किलो गेहूं-चावल और सौगात-ए-मोदी किट’ का भूखा नहीं है। अगर मोदी जी वास्तव में हमें देश की मुख्यधारा से जोड़ना चाहते हैं, तो हमें हमारा हक दें—ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) दें। ईद पर इससे बड़ा तोहफा कुछ नहीं हो सकता था। यह बयान पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी (Anees Mansuri) ने दिया है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि भाजपा सरकार चुनावी मौसम में पसमांदा मुसलमानों को लुभाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं लाती है, लेकिन असली सवालों पर चुप्पी साधे रहती है। “हर चुनाव से पहले हमारी झोपड़ियों में राशन और कपड़े पहुंचाए जाते हैं, लेकिन जब ओबीसी आरक्षण की बात आती है, तो सरकार बहरी बन जाती है। हमें (दान) नहीं, अधिकार चाहिए।
मंसूरी ने आगे कहा कि भाजपा को अगर सच में पसमांदा मुसलमानों की भलाई करनी है, तो उसे ‘सौगात-ए-मोदी किट’ बांटने की नौटंकी बंद कर ओबीसी आरक्षण लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पसमांदा मुसलमानों को हर बार ‘गरीब’ दिखाकर उनके वोट बैंक की राजनीति की जाती है, जबकि असली मुद्दों को दबा दिया जाता है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि पसमांदा समाज को सियासी मोहरे की तरह इस्तेमाल करना बंद करें। हमें हमारे बच्चों की पढ़ाई, रोजगार और बराबरी के अधिकार चाहिए। अगर भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने दावे में सच्ची है, तो सबसे पहले पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण में शामिल करे।
अनीस मंसूरी ने साफ कहा कि पसमांदा समाज अब केवल दिखावटी योजनाओं और चुनावी घोषणाओं से बहलने वाला नहीं है। “अगर सरकार हमें ओबीसी आरक्षण नहीं देती, तो हम सड़कों पर उतरकर अपना हक मांगेंगे। अब सिर्फ वोट बैंक बनने का दौर खत्म हो चुका है।
पसमांदा मुस्लिम संगठनों और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा की इस पहल को महज एक “चुनावी स्टंट” करार दिया है। उनका कहना है कि यदि सरकार को सच में पसमांदा मुसलमानों की चिंता होती, तो अब तक उन्हें सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर ओबीसी आरक्षण मिल चुका होता।
श्री मंसूरी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, हर बार ईद पर खैरात देने का दिखावा किया जाता है, लेकिन जब संसद में हमारे हक की बात आती है, तो हमारी गिनती ही नहीं होती। सरकार को यह समझना चाहिए कि अब पसमांदा मुसलमान जाग चुका है। हमें राशन और कपड़े नहीं चाहिए, हमें हमारा संवैधानिक अधिकार चाहिए।