मकर संक्रांति पर्व हिन्दू महीने के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। मकर संक्रांति पूरे भारतवर्ष और नेपाल में मुख्य फसल कटाई के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पूर्व 13 जनवरी को ही मनाया जाता है।
उत्सव के रूप में मकर संक्रांति
मकर संक्रांति के दिन उत्सव के रूप में स्नान, दान किया जाता है। तिल और गुड के पकवान बांटे जाते है। पतंग उड़ाए जाते हैं। मकर संक्रांति मनाते सब हैं पर ज्यादातर लोग इस पर्व के बारे में कुछ नहीं जानते। प्रस्तुत है मकर संक्रांति के बारे में रोचक तथ्य।
- मकर संक्रांति पर्व मुख्यतः सूर्य पर्व के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।
- एक राशि को छोड़ के दूसरे में प्रवेश करने की सूर्य की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते है।
- चूँकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस समय को मकर संक्रांति कहा जाता है।
सूर्य उत्तरायण
- इस दिन सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण हो जाता है।
- अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है।
जिससे दिन की लंबाई बढ़नी और रात की लंबाई छोटी होनी शुरू हो जाती है। - भारत में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
- अत: मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।
पतंग महोत्सव
- पहले सुबह सूर्य उदय के साथ ही पतंग उड़ाना शुरू हो जाता था।
- पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना।
- यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्धक।
- और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।
तिल और गुड़
- सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारी जल्दी लगते हैं।
- इस लिए इस दिन गुड और तिल से बने मिष्ठान खाए जाते हैं।
- इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्व के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं।
- इसलिए इस दिन खासतौर से तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं।
सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्याग कर
- माना जाता है की इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्याग कर उनके घर गए थे।
- इसलिए इस दिन को सुख और समृद्धि का माना जाता है।
- और इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है।
- इस दिन गंगा सागर में मेला भी लगता है।
फसलें लहलहाने का पर्व
- यह पर्व पूरे भारत और नेपाल में फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है।
- खरीफ की फसलें कट चुकी होती है और खेतो में रबी की फसलें लहलहा रही होती है।
- खेत में सरसो के फूल मनमोहक लगते हैं। पूरे देश में इस समय खुशी का माहौल होता है।
- अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग स्थानीय तरीकों से मनाया जाता है।
- क्षेत्रो में विविधता के कारण इस पर्व में भी विविधता है।
- दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
- उत्तर भारत में इसे लोहड़ी कहा जाता है।
- मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है
अलग-अलग कहानियां
- मकर संक्रांति के दिन यानी कि आज के दिन सूर्य देवता आज मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
- जिसकी वजह से इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
- मकर संक्रांति के इस त्योहार को पूरे देश में मनाने का रिवाज है।
- मकर संक्रांति को पंजाब में माघी, असम में बीहू, तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण के नाम से पुकारा जाता है।
- हिन्दू धर्म के इस त्योहार के पीछे कई अलग-अलग कहानियां है।
पिता पुत्र का मिलन
- यह भी मान्यता है इस दिन सूर्य देवता और उनके पत्र का मिलन होता है।
- आज के दिन सूर्य देवता अपने पुत्र व मकर राशि के स्वामी शनि से मिलने उनके घर जाते हैं।
- जिसकी वजह से इस दिन को इस नाम से जाना जाता है।
- मानना है कि आज ही के एक दिन गंगा मइया भी धरती पर अवतरित हुई थीं।
- जिसकी वजह से यह त्योहार मनाया जाता है। आज के दिन गंगा स्नान करना जरूरी होता है।