सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति की सोच, समझ और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा मस्तिष्क में होने वाले रासायनिक असंतुलन के कारण होता है।बिना किसी वजह के हर बात और हर शख्स को शक की नजर से देखना, कल्पना की दुनिया में खोये रहना, वैसी ध्वनि सुनाई देना, जो वास्तव में नहीं होती आदि एक मनोरोग है। इस मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सिर्फ खुद की कल्पनाशील बातों पर ही विश्वास करता है। उसे दूसरों की बातें झूठ लगती है।
भ्रम के हैं कई रूप
नियंत्रण का भ्रमः इससे पीड़ित व्यक्ति में एक ऐसा गलत विश्वास या सोच बैठ जाता है कि उसका मन, उसके विचार, या बर्ताव पर किसी दूसरे इंसान का नियंत्रण होता है।
बेवफाई का भ्रमः इसमें लगता है कि पति या पत्नी का किसी और से अफेयर चल रहा है। अकसर इससे भ्रमित इंसान सुबूत जुटाने की कोशिश में लगता है, जो वास्तव में अफेयर है ही नहीं।
आरोपी मानने का भ्रमः ऐसे भ्रम में मरीज पश्चाताप या अपराधी होने की गलत भावना का शिकार होता है।
भव्य भ्रमः इसमें पीड़ित सोचता है कि उसमें कुछ विशेष शक्तियां, बहुत ताकत, जानकारी या क्षमताएं मौजूद है, जो किसी दूसरे में नहीं है।
संदर्भ का भ्रमः इसमें पीड़ित को लगता है कि उसके चारों तरफ होने वाली नकारात्मक घटनाएं उससे जुड़ी हुई हैं।
दैहिक भ्रमः इसमें इंसान को बिना किसी वजह लगता है कि वह बीमार है, जबकि वास्तव में वह बीमार नहीं होता।
साजिश का भ्रमः इसमें पीड़ित को लगता है कि लोग उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं। उसे महसूस होता है कि सभी उसके बारे में बातें करते हैं या उसे घूर रहे हैं। रोगी को ऐसा भी लगता है कि जैसे कुछ लोग उसके ऊपर जादू-टोना करवा रहे हैं या फिर उसके खाने में जहर मिलाया जा रहा है।