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फ़ाइलेरिया उन्मूलन में जनप्रतिनिधि दे रहे साथ

• सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता फैलाने में कर रहे मदद

• फाइलेरिया नेटवर्क उपचार और प्रबंधन पर दे रहा जानकारी

कानपुर नगर। जनपद के ब्लॉक कल्याणपुर, सरसौल और घाटमपुर में फाइलेरिया नेटवर्क ने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिम्मा उठाया है। इस कार्य में अब जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग मिल रहा है।

इसी क्रम में शुक्रवार को कल्याणपुर ब्लॉक के बिनौर ग्राम सभा में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि अरविंद कुमार ने लोगों को मच्छरों से बचने के लिए नालियों में छिड़काव के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि जागरूकता फैलाने में फाइलेरिया नेटवर्क का कार्य सराहनीय है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए लोग आगे आएं।

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अरविंद कुमार की ओर से सागर माता नेटवर्क की मासिक बैठक में नेटवर्क सदस्यों से चर्चा की गई। उन्हें बताया गया कि जिला स्वास्थ्य समिति जिले को फाइलेरिया मुक्त करने में प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सामुदायिक स्तर पर लोगों का जागरूक होना जरूरी है। फाइलेरिया कभी न ठीक होने वाली बीमारी है।

यदि एक बार हो गया तो उसे ठीक नहीं किया सकता है। इसलिए जरूरी है कि समय पर इसकी पहचान करके इस बीमारी को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव और रोकथाम के लिए साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जाता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि फाइलेरिया रोकथाम के लिए जो भी अभियान चलाए जा रहे उसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें।

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह का कहना है कि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम के जरिए हाइड्रोसील और लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल व उनको समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है। यह भी बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं।

सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इसका प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने से उत्पन्न होते हैं।

उन्होंने कहा कि साल में केवल एक बार फाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से फाइलेरिया के संक्रमण से बचा जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खानी हैं।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह

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