कोरोना संकट के बीच देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है. तेल वितरण कंपनियों ने लगातार 21वें दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि कर दी है. शनिवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल के दाम 80.38 रुपये और एक लीटर डीजल की कीमत 80.40 रुपये हो गई. वहीं, अब दिल्ली में पेट्रोल से ज्यादा डीजल महंगा हो गया है.
देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि डीजल की कीमत पेट्रोल से अधिक है. हालांकि, ऐसा सिर्फ दिल्ली में ही है, देश के अन्य हिस्सों में डीजल की कीमत पेट्रोल से ज्यादा नहीं है. दिल्ली में डीजल की बढ़ती कीमत का मुख्य कारण वैट है. दरअसल दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन के दौरान डीजल पर वैट की दर को बढ़ा दिया था.
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी मई के पहले हफ्ते में पेट्रोल और डीजल पर भारी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी. पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 10 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 13 रुपये बढ़ाया गया था. इस कारण ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि हो रही है.
कोरोना के उपजे हालातों के मद्देनजर लगभग ढ़ाई महीने तक लॉकडाउन लागू रहा. इस कारण सरकार का खजाना खाली हो गया. इसके बाद सरकार के पास पेट्रोल-डीजल एकमात्र ही ऐसा सोर्स था, जहां से वो अच्छा राजस्व प्राप्त कर सकती थी.
जीएसटी और डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में तो कोरोना लॉकडाउन की वजह से भारी गिरावट आई है. अप्रैल में सेंट्रल जीएसटी कलेक्शन महज 6,000 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि एक साल पहले इस अवधि में सीजीएसटी कलेक्शन 47,000 करोड़ रुपये का हुआ था. इस कारण सरकार को लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़े.
हालांकि कोरोना काल में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आई, तो सरकार ने इसे राजस्व बढ़ाने के मौके के रूप में देखा. जब कच्चे तेल की कीमत में कमी लगातार जारी रही तो सरकार ने टैक्सेस् बढ़ाकर इनके दाम बढ़ा दिए. इससे पेट्रोलियम कंपनियों को तो मुनाफा नहीं हुआ, लेकिन सरकार का राजस्व काफी बढ़ा.