नई दिल्ली। कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों को अब E-way bill ई-वे बिल जनरेट करते वक्त माल की लोडिंग और अनलोडिंग प्वाइंट के अलावा उन स्थानों का पिन कोड भी डालना होगा। इस कदम का मकसद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की संभावित चोरी को रोकना है। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के अधिकारियों ने कहा कि पिन कोड का उल्लेख करने से माल की लोडिंग और अनलोडिंग प्वाइंट के बीच की वास्तविक दूरी का पता चल जाएगा।
पिन कोड से E-way bill की वैधता
इसके साथ ही पिन कोड से E-way bill ई-वे बिल की वैधता भी नहीं छुपाई जा सकेगी। अब तक कारोबारियों को ई-वे बिल जनरेट करते वक्त सिर्फ लोडिंग और अनलोडिंग प्वाइंट और उनके बीच की दूरी का ही जिक्र करना होता था। अधिकारियों ने कहा कि ई-वे बिल की वैधता दोनों स्थानों के बीच की दूरी पर निर्भर करती है।
ऐसे में एक ही ई-वे बिल पर कई चक्कर लगाने और कर-चोरी करने का अंदेशा था। वर्तमान में 100 किमी से कम दूरी के लिए ई-वे बिल की वैधता एक दिन की होती है। उसके बाद हर 100 किमी के लिए बिल की वैधता एक दिन बढ़ जाती है। इस नए नियम के साथ जीएसटीएन ने कारोबारियों को एक नई सुविधा भी दी है।
इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करते वक्त अगर कारोबारियों द्वारा दर्ज किया गया इनवॉयस मूल्य बहुत ज्यादा होगा, तो उन्हें एसएमएस के माध्यम से अलर्ट किया जाएगा। इससे वे सुनिश्चित हो पाएंगे कि गलती से मूल्य ज्यादा नहीं दर्ज कर दिया गया है। जीएसटीएन ने कहा कि वह ई-वे बिल व्यवस्था को बेहद सरल बनाने की सतत कोशिशों के तहत नए फीचर जोड़ रही है।