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पीएम मोदी ने किया ‘वॉयस ऑफ ग्‍लोबल साउथ समिट’ का नेतृत्व, कहा- नॉर्थ और साउथ के बीच अंतर नहीं बढ़ना चाहिए

भारत की मेजबानी में शुक्रवार को दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। वर्चुअल माध्‍यम से हुए इस सम्‍मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा भारत के अलग-अलग राज्यों में हुई जी20 की 200 से अधिक बैठकों में हमने ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को प्रमुखता दी। इसका नतीजा ये रहा कि नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन में ग्लोबल साउथ के विषयों पर हमें सभी की सहमति प्राप्त करने में कामयाबी मिली।

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उन्होंने कहा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती हुई दुनिया का सबसे अनूठा मंच है। भौगोलिक रूप से ग्लोबल साउथ हमेशा से रहा है, लेकिन उसे इस प्रकार से आवाज पहली बार मिल रही है। ये हमारे साझा प्रयासों से हो पाया है। हम 100 से ज्यादा अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारे हित समान हैं, हमारी प्राथमिकताएं समान हैं।

गौरतलब है कि भारत ने 12-13 जनवरी 2023 को वर्चुअल प्रारूप में पहले वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट (वीओजीएसएस) की मेजबानी की थी। इस अनूठी पहल ने ग्लोबल साउथ के 125 देशों को अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को एक साझा मंच पर प्रस्तुत करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा भारत का मानना है कि नई तकनीक से ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच अंतर नहीं बढ़ना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में यह जरूरी है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जिम्मेदारी से किया जाए। इसे और बढ़ावा देने के लिए अगले महीने भारत आर्टिफिशियल ग्लोबल पार्टनरशिप समिट का आयोजन करेगा।

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विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार दूसरा वीओजीएसएस 10 सत्रों में आयोजित होगा। नेताओं के उद्घाटन सत्र का विषय ‘एक साथ, सबके विकास के लिए, सबके विश्वास के साथ’ है और समापन सत्र का विषय ‘ग्लोबल साउथ: टुगेदर फॉर वन फ्यूचर’ है। इसके अलावा विभिन्न विषयों पर 8 मंत्रिस्तरीय सत्र होंगे।

रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी

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