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शरीर में खून बढ़ाने के लिए करें इन योगासनों का अभ्यास, रक्त संबंधी समस्याएं होंगी दूर…

स्वस्थ शरीर के लिए रक्त की भूमिका महत्वपूर्ण है। रक्त ऑक्सीजन को फेफड़े से लेकर कोशिकाओं तक और कोशिकाओं से कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर फेफड़ों तक पहुंचाने का कार्य करता है। भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों जैसे ग्लूकोज को भी कोशिकाओं तक पहुंचाता है। साथ ही हार्मोन शरीर के उपयुक्त स्थानों तक रक्त के जरिए ही पहुंचते हैं। हालांकि पोषण की कमी और अन्य कई कारणों से रक्त संबंधी विकार हो सकते हैं, जिसके कारण शरीर सही तरीके से कार्य नहीं कर पाता। शरीर में खून की कमी, रक्तस्त्राव विकार जैसे हीमोफिलिया, रक्त के थक्के और रक्त कैंसर आदि कई रक्त के विकार हैं। रक्त संबंधी किसी भी समस्या पर सीधे डॉक्टर से संपर्क करें।

योग विशेषज्ञ कहते हैं कि रक्त विकारों से बचने के लिए नियमित तौर पर योगाभ्यास लाभकारी हो सकता है। कई योग खून की कमी को दूर करने, रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने और खून के थक्के या ब्लड क्लॉटिंग की समस्या से बचाव करते हैं। अगली स्लाइड्स में रक्त संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए फायदेमंद योगासनों के बारे में बताया जा रहा है।

उज्जाई प्राणायाम

उज्जाई प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। इस योगासन से पाचन क्रिया बेहतर होती है। योगासन के नियमित अभ्यास से लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है और एनीमिया की समस्या दूर होती है। साथ ही थायराइड से भी राहत मिलती है।
उज्जाई प्राणायाम के अभ्यास का तरीका

स्टेप 1- पद्मासन की स्थिति में बैठकर पूरे शरीर को शिथिल कर लें।
स्टेप 2- श्वास लेते हुए अपना ध्यान गले पर ले आएं, कल्पना करें कि श्वास गले से आ जा रही है।
स्टेप 3- श्वास लंबी और गहरी हो, ऐसा 10-15 मिनट करें।

सूर्यभेदी प्राणायाम

सूर्यभेदी प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और रक्त विकार तेजी से कम हो सकते हैं। यह आसन लाल रंग कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं। इस योग के अभ्यास दमा, खांसी, कफ, साइनस, ह्रदय, पाइल्स जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है।

सूर्यभेदी प्राणायाम करने का तरीका

स्टेप 1- सबसे पहले पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठकर कमर, गर्दन, पीठ को सीधा करें।
स्टेप 2- बाएं हाथ की उंगलियों को बाएं पैर पर ज्ञान मुद्रा में रखें और दाएं हाथ की दो उंगलियों से बाएं नासिका छिद्र को बंद कर दें।
स्टेप 3- अब दाएं नासिका छिद्र से सांस लेते हुए दोनों हाथ की उंगलियों से दाएं नासिका को बंद करके क्षमतानुसार सांस रोकें।
स्टेप 4- इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं।

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