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साहिब गुरू अंगद देव महाराज का प्रकाश पर्व मनाया गया

लखनऊ। सिखों के दूसरे गुरु साहिब गुरू अंगद देव महाराज का प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) आज 21 अप्रैल को ऐतिहासिक गुरूद्वारा गुरू नानक देव श्री गुरू सिंह सभा, नाका हिंडोला लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। सायं का दीवान रहिरास साहिब के पाठ से प्रारम्भ हुआ जो काफी देर तक चला, जिसमें हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह शबद कीर्तन के गायन एवं नाम सिमरन द्वारा समूह साध संगत को निहाल किया।

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उसके उपरान्त ज्ञानी सुखदेव सिंह ने गुरू अंगद देव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु जी का जन्म गांव हरीके, फिरोजपुर, पंजाब में हुआ था। गुरुजी आपके पिता का नाम श्री फेरू और माता का नाम माता रामो देवी था। गुरू अंगद देव का जीवन बहुत रहस्यमयी था इनका पहला नाम भाई लाहिणा था। वह देवी के पुजारी थे एक सिख से गुरू नानक देव की बाणी सुनकर मुग्ध हो गये। उनके हृदय में गुरू के दर्शनों की लालसा लग गयी करतारपुर आकर गुरू जी के दर्शन किये और दर्शन करके इतना आनन्द आया कि अपने आप को गुरू जी के हवाले कर दिया।

प्रकाश पर्व

दिन रात सेवा सिमरन में जुटे रहना इनके जीवन का मुख्य कर्तव्य था। गुरू नानक देव ने कई बार परीक्षा ली और वे हर बार परीक्षा में सफल होते रहे। इनकी नम्रता एवं सेवा सिमरन को देखते हुए गुरूनानक देव ने अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर भाई लाहिणा जी को गुरू गद्दी सौंप दी और भाई लाहिणा से गुरू अंगद देव बना दिया। गुरु अंगद देव के 62 शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं। गुरूमुखी लिपि की एक वर्णमाला को प्रस्तुत किया। वह लिपि बहुत जल्द लोगों में लोकप्रिय हो गयी। उन्होने बच्चों की शिक्षा में विशेष रूचि ली। उन्होंने विद्यालय व साहित्य केन्द्रों की स्थापना की। नवयुवकों के लिए उन्होंने मल्ल-अखाड़ा की प्रथा शुरू की।

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गुरू जी के जीवन से हमको यह प्रेरणा मिलती है कि सेवा व सिमरन करने से मनुष्य बहुत ऊँचा बन जाता है। गुरू जी के दरबार में जहाँ आत्मा की खुराक के लिये नाम भक्ति के लंगर चलते थे वहीं शारीरिक खुराक के लिये भी आये गये अतिथियों के लिये चौबीस घंटे गुरू का लंगर भी चलाए जाते। रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने “इस जग सचै की है कोठड़ी सचे का विचार वास।” गायन कर साध संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम की समाप्ति आरती गायन एवं गुरू ग्रंथ साहिब पर फूलों की वर्षा के साथ हुई। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के पश्चात् ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी श्री गुरू सिंह सभा,नाका हिंडोला लखनऊ के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समूह संगत को साहिब गुरू अंगद देव के प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) की बधाई दी। दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने गुरू का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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