प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने खेलो इन्डिया अभियान का शुभारंभ किया था. इसके साथ ही उन्होंने परंपरागत खेलों को भी प्रोत्साहन का आह्वान किया था. य़ह सभी कभी बच्चों और युवाओं की दिनचर्या में शामिल हुआ करते थे. इनमें कोई लागत या संसाधन की आवश्यकता नहीँ होती थी. य़ह सभी स्वास्थ्य वर्धक थे. इनमें से अनेक खेल विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में भी शामिल रहते थे. भारत में इनको बहुत पहले ही प्रोत्साहन देने की आवश्यकता थी. वर्तमान सरकार ने इस ओर ध्यान दिया. राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल भी इसके लिए बच्चों और युवाओं को जागरूकता का संदेश देती रही है. कुछ समय पहले उनकी प्रेरणा से राजभवन में परंपरागत खेलों का आयोजन किया गया था.
एक बार फिर आनन्दी बेन ने परम्परागत खेलों को बढ़ावा देने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थी को उसकी रूचि के अनुसार परंपरागत खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए. ये खेल महाविद्यालय, विश्वविद्यालय मण्डल तथा राज्य स्तर पर आयोजित होने चाहिए.
परम्परागत खेल प्रतियोगिता को विश्वविद्यालयों द्वारा अंतर्राज्यीय स्तर पर भी आयोजित करने का प्रयास होना चाहिए. विश्वविद्यालय गत माह राजभवन में आयोजित परम्परागत खेल प्रतियोगिता की तर्ज पर ये आयोजन करा सकते हैं.
इसके साथ ही राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को पौराणिक भारतीय वाघ यंत्रों, भारतीय संगीत और रंगमंचीय प्रस्तुतियों पर आधारित आयोजनों को बढ़ावा देने का निर्देश दिया.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में भारतीय कला, संगीत और खेल प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया जाए. समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से खेलों इण्डिया में प्रतिभाग करने वाले विजयी प्रतिभागियों को राजभवन में आंमत्रित करके सम्मानित किया जायेगा.
आनंदी बेन ने कहा कि प्रदेश के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में 15 अगस्त तथा 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर आवश्यक रूप से ध्वजारोहण करके सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए.
उन्होंने निर्देश दिया कि इन राष्ट्रीय पर्वों के दूसरे दिन अभियान चलाकर विश्वविद्यालय परिसरों की सफाई की जाए, जिसमें संस्थान के शिक्षकों, शिक्षणेत्तर अधिकारी एवं कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों की सहभागिता कराई जाये.