रायबरेली। जिले की पुलिस की Hooliganism कार्यशैली दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। ताजा उदाहरण मेरी आखो के सामने गुजरा जब मै दुर्गेश मिश्र, रोहित मिश्र, अखिल, धीरज श्रीवास्तव व रामसजीवन चौधरी 6 जून की रात करीब 9:30 पर उन्नाव से लौट रहे थे, तभी पीआरवी 1732 के सिपाहियों की सरेआम लूट देखी जो प्रति लकड़ी लदी ट्राली से 200 रुपये ले रहे थे।
Hooliganism : जिले में बढ़ रहे अपराध दर अपराध, जिम्मेदार मौन
इस घटना का एक पत्रकार साथी ने वीडियो भी बनाया और सीओ सिटी से बात भी की गयी। उन्होने कहा भी की खबर न चलाएं/ लगाएं एेसे पुलिसकर्मियो पर कार्रवाई की जायेगी। लेकिन एक सप्ताह बीत रहा है और पुलिस की लूट उसी तरह जारी है।
पुलिस को है लूट की छूट, कुछ थानों में फिक्स है कामो के रेट
जिम्मेदार मौन हो गये हैं, उन्हें उस वीडियो में कुछ समझ नही आ रहा है जबकि साफ-साफ पुलिस पैसे ले रही है। यहां तक की कुछ थानों में हर काम के रेट निर्धारित है और दलाल मौज कर रहें है।आलम ये है कि डायल100 नंबर पुलिस भले देर में आए , लेकिन 100 की नोट पर तुरन्त पहुंचती है।
इसे बदलना होगा अब जिन जनप्रतिनिधियों को चुना है वो भले आंख मूंद लें या अन्जान बने रहें।लेकिन कब तक आम जनमानस इन वर्दीधारी लुटेरों का शिकार बनता रहेगा, कब तक जनता के नौकर जनता को उनके अधिकारी होने के भ्रम में रखकर लाभ उठाते रहेंगे, केवल नाम का ही प्रजातन्त्र होगा की कुछ अमली जामा भी चढ़ेगा।
पुलिस के नाम से कतराने लगा है आम जनमानस
ऐसी घटनाएं अब आम जनमानस को सोचना पड़ेगा, क्योकि राह दिखाने वाले ही अब राह से भटकते नजर आ रहें है। जिले में निरन्तर अपराधों का ग्राफ बढ़ रहा है लेकिन इन पर अंकुश लगाने की बजाय पुलिस अपनी जेबें भरने मे लगी है।
- गदागंज थाने मे एक युवक पर जानलेवा हमला करने वाले आरोपी, पुलिस की शह पर सरेआम घूम रहे है।
- गुरुबक्सगंज का एक परिवार एसपी आफिस में आठ दिनो से बैठा था। आठ दिन बाद एसपी महोदया के कानों में जूं रेंगी और फिर भी उस परिवार को सिर्फ आश्वासन ही मिला। अब जहां के अधिकारी एेसे हों वहां उसके मातहत कैसे होगें इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।