लखनऊ। जनहित के कार्य तभी सुचारु ढङ्ग से हो सकते हैं जब सम्बन्धित लोगों में पर्याप्त जागरूकता हो और उनकी लगातार सक्रिय भागीदारी रहे। इसके साथ व्यवस्था के लोग अपनी ज़िम्मेदारियाँ विशेषरूप से सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर निभाएँ। यह बात रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र पीआरओ डॉ० राघवेन्द्र शुक्ल ने यहाँ अपने अभिनन्दन समारोह में कही। इसी मौके पर समान रूप से सम्मानित किये गये ‘इबोआ’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनाथ शुक्ल ने कहा कि कोरोना की विकट त्रासदी के समय समूचे देश और सरहद पर भी सैनिकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों के अलावा लगातार सिर्फ़ बैंककर्मियों ने अपने दायित्वों को अंज़ाम दिया किन्तु बैंककर्मियों को ‘कोरोना वारियर्स’ का दर्ज़ा न देने की चूक हुई।
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विभिन्न बैंकों के विलय के बाद उनके कर्मचारियों और अधिकारियों को कोई अतिरिक्त परेशानी न झेलनी पड़े। गोमतीनगर के विराजखण्ड सामुदायिक केन्द्र में आयोजित अभिनन्दन समारोह की अध्यक्षता विराजखण्ड जनकल्याण समिति के अध्यक्ष एवं विधानसभा के पूर्व मुख्य सम्पादक डॉ. अरुणेन्द्र चन्द्र त्रिपाठी ने की जबकि सञ्चालन स्वतंत्र पत्रकार डॉ. मत्स्येन्द्र प्रभाकर ने किया।
गौरतलब है कि समर्पित समाजसेवी तथा गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति के महासचिव डॉ० शुक्ल हाल ही में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा उनके लखनऊ संसदीय क्षेत्र में सांसद विकास निधि व जनता की परेशानियों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए जनसम्पर्क अधिकारी नामित किये गये हैं। जबकि रामनाथ शुक्ल को इलाहाबाद बैंक के संविलियन के उपरान्त गत दिनों सर्वसम्मति से इण्डियन बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन इबोआ का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। दोनों ही गोमतीनगर के निवासी हैं। इस नाते उनकी नयी ज़िम्मेदारियों को इस क्षेत्र के गौरव के रूप में देखा जा रहा है। अभिनन्दन समारोह कोरोना-काल की छाया में विशेष प्रोटोकॉल के तहत आयोजित किया गया। इसमें इलाके के प्रतिष्ठित नागरिक एवं महासमिति के साथ विराजखण्ड जनकल्याण समिति के पदाधिकारी भी सम्मिलित हुए।
डॉ० त्रिपाठी ने विश्वास व्यक्त किया कि दोनों लोग व्यापक जनहित के लिए सतत् सक्रिय रहेंगे।
डॉ. मत्स्येन्द्र प्रभाकर ने रामनाथ शुक्ल की नयी ज़िम्मेदारी को महत्त्वपूर्ण बताया। इलाहाबाद बैंक उत्तर भारत का बैंक माना जाता रहा जबकि इण्डियन बैंक दक्षिण का। विलय के बाद ‘इबोआ’ का अध्यक्ष रामनाथ के रूप में उत्तर भारत से बनना न सिर्फ़ विराजखण्ड,गोमतीनगर लखनऊ और उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए सम्मान का विषय है। उन्होंने डॉ. शुक्ल के पीआरओ नामित किये जाने को ख़ासकर लखनऊ के लोगों का गौरव करार दिया।