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शुक्रवार से शुरू हो रहा है पुरुषोत्तम मास, 19 साल बाद बन रहे हैं संयोग

पूरी दुनिया में सनातन संस्कृति का परचम लहराने वाले भारत में काल गणना पंचांग के अनुसार कभी-कभी आश्चर्यजनक तथ्य उभरकर भी सामने आते हैं। कुछ ऐसा ही इस वर्ष भी हो रहा है, जब पितृपक्ष समाप्त होने के अगले दिन से नवरात्रा शुरू नहीं हो रही है। गुरुवार को लोगों ने श्रद्धा पूर्वक अपने पितृपक्ष के मोक्ष और परिवार के सुख समृद्धि की कामना करते हुए पार्वन किया।

अब शुक्रवार से अधिक मास (जिसे पुरुषोत्तम मास और मलमास भी कहा जाता है) शुरू हो रहा है। पुरुषोत्तम मास का संयोग आश्विन माह में 19 वर्षों के बाद आया है। जिसके कारण नवरात्रा 18 से सितम्बर से शुरू नहीं होकर 16 अक्टूबर से शुरू होगा।

इस महीने में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं तथा सूर्य संक्रांति नहीं होने के कारण मलिन और अशुद्ध माना जाता है। कालगणना अनुसार दो आश्विन मास एक शताब्दी में 19-19 वर्ष के अंतराल पर पांच बार होते हैं। उसके 83 वर्ष बाद फिर दो अश्विन मास होते हैं। 1880 में दो आश्विन अधिक मास हुए थे। इसके 83 वर्ष बाद 1963 में दो आश्विन अधिक मास हुए।

फिर 19 वर्ष बाद 1982 में, 19 वर्ष बाद 2001 और 19 वर्ष बाद 2020 में दो आश्विन मास हुए हैं। अब 2039 में दो आश्विन मास होंगे। पुरुषोत्तम मास प्रत्येक 32 महीने 16 दिन बाद आता है और इसमें चंद्रमास की दो अमावस्याओं के बीच मासिक सूर्य संक्रांति नहीं होती है। इसमें श्रद्धा-भक्ति के साथ व्रत, उपवास, पूजा आदि करना चाहिए।

ज्योतिष अनुसंधान केंद्र गढ़पुरा के पंडित आशुतोष झा ने बताया कि पुरुषोत्तम मास में पहला पक्ष शुद्ध बीच का दो पक्ष पुरुषोत्तम और अंतिम पक्ष शुद्ध होता है। इस वर्ष शुद्ध आश्विन माह का प्रथम पक्ष यानी कृष्ण पक्ष तीन से 17 सितम्बर तक रहा। अब 18 सितम्बर से 16 अक्टूबर तक अशुद्ध आश्विन माह यानी मलमास रहेगा।

उसके बाद द्वितीय पक्ष यानी शुक्ल पक्ष 17 से 31 अक्टूबर तक होगा। मलमास समाप्ति के बाद 17 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ ही नवरात्र शुरू हो जाएगी। दशहरा के बाद 25 नवम्बर को देवोत्थान एकादशी के साथ चातुर्मास का समापन हो जाएगा जिसके बाद विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश समेत सभी मांगलिक कार्य सुचारू रूप से शुरू हो जाएंगे।

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