वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन हेतु विधेयक पर चर्चा करते हुए बोला कि जब भी कोई बैंक मुश्किल में फंसता है तो लोगों की कड़ी मेहनत की कमाई संकट में पड़ जाती है। किन्तु अब नए कानून से लोगों के बैंकों में जमा पैसे को सुरक्षा प्राप्त होगी।
इसके साथ ही भारत के तमाम को-ऑपरेटिव बैंक भी रिजर्व बैंक के तहत आ जाएंगे। भारत सरकार बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन कर बैंक उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है।
बिल पारित होने से पूर्व सीतारमण ने कहा कि को-ऑपरेटिव बैंक तथा छोटे बैंकों के डिपॉजिटर्स बीते दो वर्ष से अनेक तरह की समस्याओं का सामना कर रहे है। हम इस विधेयक के जरिये उनके हितों की रक्षा सुनिश्चित करेंगे।
जानकारी के मुताबिक, इस विधेयक को पूर्व बार बजट सत्र के दौरान मार्च में पेश किया गया था। हालांकि, कोरोना की वजह से ये पारित नहीं हो पाया था। इसके बाद भारत सरकार ने जून 2020 में भारत के 1,482 अर्बन को-ऑपरेटिव और 58 मल्टी-स्टेट कॉ-आपरेटिव बैंकों को रिजर्व बैंक के अधीन लाने हेतु अध्यादेश लागू किया था।
डिपॉजिटर्स की 5 लाख तक की रकम रहेगी सुरक्षित
बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन का निर्णय ग्राहकों के हित में है। यदि अब कोई बैंक डिफॉल्ट करता है तो बैंक में जमा 5 लाख तक की राशि पूरी तरह से सुरक्षित है। सीतारमण ने एक फरवरी, 2020 को पेश बजट में ही इसे 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया था। ऐसे यदि कोई बैंक डूब जाता है या फिर दिवालिया हो जाता है तो उसके डिपॉजिटर्स को अधिकतम 5 लाख प्राप्त होंगे, चाहे उनके खाते में कितना भी पैसा हो।
इस विधेयक को निर्मला सीतारमण ने किया स्पष्ट
ऑपरेटिव बैंकों का नियमन नहीं करता है एवं ना ही ये भारत सरकार के को-ऑपरेटिव बैंकों का अधिग्रहण करने हेतु लाया गया है। इस संशोधन से पूर्व यदि किसी बैंक को मोरेटोरियम के तहत रखा जाता था तो डिपॉजिटर्स की निकासी की सीमा तय कर दी जाती थी। इसके साथ ही बैंक के कर्ज देने पर रोक लगा दी जाती थी।
बैंक डूबने पर डीआईसीजीसी करेगा डिपॉजिटर्स को भुगतान
बता दें कि डीआईसीजीसी एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के प्रावधानों के तहत, यदि कोई बैंक डूब जाता है या फिर दिवालिया हो जाता है, तो कॉरपोरेशन प्रत्येक जमाकर्ता को भुगतान करने हेतु जिम्मेदार होता है। उसकी जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होता है। आपका एक ही बैंक की अनेक ब्रांच में खाता है तो सभी खातों में जमा पैसे एवं ब्याज को जोड़ा जाएगा। इसके बाद सिर्फ 5 लाख तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा।
इन सोसायटीज पर लागू नहीं होगा संशोधन विधेयक
संशोधन विधेयक में धारा-45 के तहत अनेक परिवर्तन करने का प्रस्ताव रखा गया था। इनकी सहायता से आरबीआई बैंकों की रोजमर्रा की गतिविधियों को बिना रोके जनहित, बैंकिंग सिस्टम एवं मैनेजमेंट के हित हेतु स्कीम बना सकता है। हालांकि, कानून में परिवर्तन से राज्यों के कानून के तहत को-ऑपरेटिव सोसायटी के स्टेट रजिस्ट्रार की मौजूदा शक्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।