रायबरेली। सरकार भले ही बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा दे रही हो लेकिन कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त का दवा करने वाली योगी सरकार में भी बेटियां सुरक्षित नजर नही आ रही है। बेटियां जब भी पढ़ने के लिए घरों से निकलती है तो हवस के भेड़ियों की निगाहें इन मासूम जिंदगियों को बर्बाद करने के लिए उठ जाती हैं।
जिले में बढ़ रहे अपराध के ग्राफ में यहां का प्रशासन लीपापोती करने में जुटा रहता है मामला जिले की ऊंचाहार कोतवाली का है जहां 23 अगस्त को चराई के पुरवा गांव की रहने वाली एक दलित किशोरी को कालेज में एडमिशन के नाम पर एक छात्र ने एक प्राइमरी स्कूल में बंधक बनाकर रात भर रेप जैसी घटना को अंजाम दिया। सुबह होते ही मौके से फरार हो गया जब परिजन थाने पहुचे तो उन्हें बैरंग वापस कर दिया गया।
मासूम छात्रा को इसके साथ जो हैवानियत हुई उसे सुनकर सभी के होश उड़ जाएंगे दरअसल पूरा मामला पीड़िता ने बताया कि पास के गांव का रहने वाला एक युवक उसके कालेज में साथ पढ़ता था और 23 अगस्त को के दिन उसके घर पहुचकर कहा कि कॉलेज में एड्मिशन हो रहे हैं चलकर एडमिशन करवा लो। छात्रा उसकी बात पर सहमति जताते हुए उसके साथ कालेज जाने के लिए निकल गई। लेकिन रास्ते मे आकर दबंग छात्र ने पीड़ित छात्रा को एक स्कूल में ले जाकर बन्द कर दिया और रात भर उसकी अस्मत से खेलता रहा और सुबह उसके हाथ पैर बांधकर मौके से फरार हो गया।
जब सुबह स्कूल खुला तो स्कूल परिसर में नाबालिक लड़की को देखकर स्कूल का स्टॉप परेशान हो गया। पूछने पर मासूम छात्रा ने रोरोकर अपनी आपबीती स्कूल की रसोइयों को बता दी। तत्काल ही उन रसोइयो ने उसके घर सन्देश भिजवाया। पीड़ित के माता पिता तत्काल अपनी बेटी को लेने मलकाना स्कूल पहुचे। जब पीडिता ने अपनी मां से अपनी अस्मत और लड़के की करतूत बताई तो सभी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।
परिजन तत्काल उसे लेकर कोतवाली में पहुचे, लेकिन पुलिस ने फौरी तौर पर कार्यवाही का आश्वासन देते हुए उन्हें वापस कर दिया और लड़के को दो दिन थाने में बैठाने के बाद उसे भी छोड़ दिया गया। परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी एक नही सुनी और उन्हें न्याय नही मिल पा रहा है।
रेप के मामले में समझौता कराने में जुटे थे कोतवाल
बेटियों पर गलत नजर डालने वाले लोगो को तत्काल जेल भेजने की कवायद भले विभाग के मुखिया और सरकार कर रही हो। लेकिन उन्ही की पुलिस जब किसी बेटी के साथ अत्याचार होता है तो उसकी हफ़्तों एफआईआर तक नही लिखते।
कोतवाली की कुर्सी पर बैठे यहां के दरोगा अपने को सीएम से कम नही समझते, तभी तो इतनी बड़ी वारदात हफ़्तों तक दबी न रहती है। इस मामले में कोतवाल ऊंचाहार पंकज त्रिपाठी ने बताया पार्टी अभी तक समझौते की बात हो रही थी। बात नही बनी तो मुकदमा दर्ज किया गया है।
वाह री उंचाहार पुलिस, तो अब रेप जैसे केस आने पर भी यहां की पुलिस समझौता कराएगी! इन जैसे कोतवाल के होते हुये कैसे कानून व्यवस्था दुरस्त होगी इसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा