उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक की प्रसिद्ध पुस्तक ‘चरैवेति ! चरैवेति !!’अब ‘मुन्नैरिदे! मुन्नैरिदे!!’नाम से तमिल भाषा में भी उपलब्ध है। तमिलनाडु के राजभवन राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने इसका विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ”उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक के संस्मरणों का संग्रह ‘चरैवेति ! चरैवेति !!’ का तमिल में अनुवाद होने से तमिलनाडु का सम्मान हुआ है। तमिल जाननेवाले हर व्यक्ति ने यह प्रेरणादायी पुस्तक पढनी चाहिए”।
महाराष्ट्र का मराठी अख़बार ‘सकाल’ में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने वर्ष 2015 में अपने जीवन के संस्मरण लिखे थे जो बाद में वर्ष 2016 में ‘चरैवेति ! चरैवेति !!’ पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुए. इस पुस्तक की पाठकों ने तथा समीक्षकों ने काफी सराहना की जिसके चलते ‘चरैवेति’ के प्रथमत: एक साथ हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी व गुजराती भाषाओँ के संस्मरणों का तत्कालिन राष्ट्रपति स्व. प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में राष्ट्रपति भवन में लोकार्पण हुआ. उसके बाद अनुवाद का मानो तांता लगा.
दृष्टीबाधितों के लिए ब्रेल लिपि में मराठी, हिंदी व अंग्रेजी में यह पुस्तक उपलब्ध होने से एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ. साथ ही संस्कृत, सिंधी, असमिया,अरबी, फारसी व जर्मन मिलाकर ग्यारह भाषाओँ में यह पुस्तक उपलब्ध हुई। करोना आपदा के चलते अनुवाद की गति हल्की थम गयी मगर अब कल बुधवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में इस पुस्तक का बारहवी भाषा – तमिल में संस्करण विमोचित हुआ. स्वतंत्रता के पश्चात किसी राजनेता की पुस्तक के विभिन्न 15 संस्करण यह अपने-आप में भी विक्रम है।
”चरैवेति ! चरैवेति !!” की इस यशोगाथा का शायद कारण यह है कि श्री राम नाईक बेहद प्रामाणिक व्यक्ति है। भारतीय संस्कृति का जीवन में सतत कार्यरत रहने का मंत्र उन्होंने शत प्रतिशत अपनाया है”, ऐसे शब्दों में विमोचन समारोह के विशेष अतिथि व रिजर्व बैंक के निदेशक श्री एस. गुरुमूर्ति ने श्री राम नाईक के पुस्तक की प्रशंसा की। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित तथा गुरुमूर्ति दोनों ही पूर्व राज्यपाल से तथा उनके कार्य से विगत चालीस वर्षों से सुपरिचित है। स्वाभाविक था की उनकी समीक्षा ने तमिलनाडु के लोगों में पुस्तक की उत्सुकता को बढाया। पूर्व राज्यपाल तथा पुस्तक के लेखक राम नाईक ने कहा, यह पुस्तक केवल मेरे संस्मरण नही है। मैं चाहता हूं कि आम पाठकों के साथ-साथ हर जनप्रतिनिधि – मंत्री, सांसद, विधायक से लेकर ग्रामपंचायत तक यह पुस्तक पढ़े और राजनीति में नाम कमाना हो तो मेरा गुरु मंत्र अपनाये।
”जनप्रतिनिधि ने यह हमेशा याद रखना चाहिए की वह केवल जिन्होंने उसे मत दिए उनका ही नही तो जिन्होंने विरोध में मतदान किया उन मतदाताओं का, जिन्होंने मतदान का अधिकार होते हुए भी मतदान नही किया ऐसे मतदाताओं का, जिनका नाम मतदाता सूचि में नही है उनका भी, यहाँ तक की जिन्हें मतदान का अधिकार ही नही ऐसे छोटे बच्चे, प्राकृतिक संपदा सभी का प्रतिनिधी है और सबके हित की उसे रक्षा करनी है।
एक बार यह मंत्र अपना कर जनप्रतिनिधी चले तो जनता के प्रेम का वह सदैव हकदार होगा”। इस भाषण में श्री राम नाईक ने तमिलनाडु की जनता का अभिनंदन किया और उम्मीद जताई की उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने करोना की आपदा पर नियंत्रण लाया है वैसी स्थिती जल्दही तमिलनाडु में आए। 15 अगस्त से प्रारंभ हुआ ‘स्वतंत्रता अमृत वर्ष’ सबको सुखी – समृद्ध बनाएं ऐसी शुभकामना भी तमिलनाडु की जनता को दी।
‘चरैवेति ! चरैवेति !!’ का तमिल अनुवाद ‘मुन्नैरिदे! मुन्नैरिदे!!’ नई दिल्ली के चाणक्य वार्ता प्रकाशन ने प्रस्तुत किया है जिसे चार गणमान्य अनुवादकों ने मिलकर अनुवादित किया है। अनुवादकों का भी समारोह में अभिनंदन किया गया। यह जानकारी पूर्व राज्यपाल की कार्यालय मंत्री विशाखा कुलकर्णी ने दी। उन्होंने बताया कि राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति ! चरैवेति !!’ के तमिल संस्करण के लोकार्पण समारोह में बाये से लक्ष्मीनारायण भाला,प्रकाशक डा.अमित जैन, आनंदमल छल्लानी व नवरतनमल जैन भी उपस्थित रहे।