देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इसके अलावा कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया। इस फैसले को लेकर कई राम भक्त दशकों से इंतजार कर रहे थे। फैसला आते ही मानो रामभक्तों को कुबेर का खजाना ही मिल गया हो।
आपने कई राम भक्तों के बारे में सुना होगा लेकिन कठिन संकल्प व निष्ठा वाले रामभक्त इस कलयुग में शायद ही आपको मिलेंगे। मध्यप्रदेश के जबलपुर निवासी उर्मिला चतुर्वेदी इस कलयुग की ऐसी ही रामभक्त हैं, जो कि इस फैसले के आने के बाद काफी खुश हैं। बताया जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण का संकल्प लेकर वर्ष 1992 में जो उपवास उन्होंने शुरू किया था, वह अब पूरा हो गया है। उर्मिला अब अयोध्या जाकर ही व्रत तोड़ेंगी।
बता दें कि 87 वर्षिय उर्मिला काफी बुजुर्ग हैं, लेकिन उनका संकल्प अब भी मजबूत है। वह कहती हैं कि उपवास के पीछे उनका सिर्फ एक मकसद था कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण होते देख सकें। इस इच्छा के पूरा होने के आसार नजर आने लगे हैं। दरअसल उर्मिला ने वर्ष 1992 के बाद अन्न ग्रहण नहीं किया है।
उर्मिला कहती हैं कि विवादित ढांचा टूटने के दौरान देश में काफी दंगे हुए, खून-खराबा हुआ। हिंदू-मुस्लिम भाइयों ने एक-दूसरे का खून बहाया। ये सब देख मैं बेहद दुखी हुईं। उस दिन ही मैंने संकल्प ले लिया कि अब अनाज तभी खाउंगी, जब देश में भाईचारे के साथ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। इस बीच मामला अदालत में चलता रहा। जब 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उर्मिला चतुर्वेदी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने भगवान राम को साष्टांग प्रणाम किया और अब वो अयोध्या जाकर अपना उपवास तोड़ेंगी।
बताया जा रहा है कि उपवास का संकल्प लेने की वजह से उर्मिला अपने रिश्तेदारों और समाज से दूर हो गईं। लोगों ने कई बार उन पर उपवास खत्म करने का भी दबाव बनाया, तो कई ने मजाक भी उड़ाया। लेकिन ऐसे लोग भी थे जिन्होंने उनके आत्मविश्वास और साधना की तारीफ की और उन्हें कई बार सार्वजनिक मंच से सम्मानित किया। महज केले और चाय के सहारे 27 साल का लंबा सफर तय करने के बाद उर्मिला चतुर्वेदी अब नए उत्साह के साथ अयोध्या में मंदिर निर्माण पूरा होने की प्रतीक्षा कर रही हैं।
वहीं, इस फैसले के आने के बाद उर्मिला ने सुप्रीम कोर्ट के पांचों न्यायाधीश का दिल से धन्यवाद किया। साथ ही अब उनकी इच्छा है कि वह अयोध्या में जाकर रामलला के दर्शन के बाद अपना उपवास खत्म करें। हालांकि शनिवार को जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उर्मिला के परिजनों ने उन्हें खाना खिलाने की कोशिश की, लेकिन उर्मिला ने साफ कह दिया कि वह उपवास अयोध्या में ही खोलेंगी।
वे कहती हैं कि 27 सालों के उपवास के बाद उनको खुशी मिली है। उपवास का संकल्प होने के कारण वह रिश्तेदारों, समाज आदि से दूर होती चली गईं। कई बार लोगों ने उनपर उपवास खत्म करने का दबाव बनाया, कुछ लोगों ने मजाक भी उड़ाया। वहीं कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने उनके आत्मविश्वास और साधना की तारीफ की। महज केले और चाय के सहारे 27 साल से वह संकल्प लेकर बैठी हैं।