उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कार्मिकों की स्थानांतरण नीति का शासनादेश जारी कर दिया। जो वर्ष 2018 में जारी की गई सामान्य स्थानांतरण नीति के तहत ही लागू रहेगी। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा, हमारा सरकार से अनुरोध है कि उन लोगों के स्थानांतरण किए जाएं जो विगत 2 वर्षों में अपने गृह जनपद से 400 – 500 किलोमीटर दूर नौकरियां कर रहे हैं लेकिन स्थानांतरण सत्र शून्य होने के कारण उनके स्थानांतरण नहीं हो पा रहे थे। ताकि वह भी कोरोना महामारी के दौरान अपने परिवार के साथ अथवा आस पास रहकर जीवन यापन कर सकें।
हां यह बात जरूर है कि सामान्य स्थानांतरण इस वर्ष कम से कम किया जाए। क्योंकि अभी कोरोना काल में कर्मचारी समाज भी पूरी तरह से भयभीत है। उसने चुनाव की ड्यूटी अभी की है साथ ही आपने जहां जहां अन्य कोरोना बचाओ कार्यों में लगाया है वह भी उसने पूरी जवाबदेही के साथ की है वे जहां दूसरे जनपदों में जाएंगे वहां किराए के मकान लेने, सामान शिफ्ट करने, बच्चों का एडमिशन कराने आदि में काफी समस्याएं पैदा होंगे।
जैसा सरकारी आंकड़े भी बता रहे हैं कि कोरोना का तीसरा स्वरूप भी आने वाला है। बच्चो पर भी कोरोना का असर इस बार बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए इन सबसे बचने के लिए उपयुक्त होगा की सामान्य स्थानांतरण पर जोर ना दिया जाए सिर्फ निजी हित पर ही दबाव दिया जाए।