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जानें क्‍या है हिंदू विवाह में 7 फेरों और वचन का महत्‍व 

अग्‍न‍ि के समक्ष सात फेरों के बगैर ह‍िंदू व‍िवाह अधूरा माना जाता है। इसके ल‍िए वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसके चारों ओर सात बार घूमना होता है। साथ ही हर फेरे के साथ सात वचन भी लेने जरूरी होते हैं। यह वचन वर और वधू दोनों पर लागू होते हैं। जीवन को खुशहाल बनाने के ल‍िए वधू जो वचन वर से मांगती हैं। उन्‍हें वह अपने ऊपर भी लागू करने की हांमी फेरे लेते समय भरती है। ऐसे में आइए जानें क्‍या हैं फेरों और वचनों का महत्‍व….
सात फेरों का महत्‍व:
शरीर में ऊर्जा के कुल सात केंद्र हैं। इन केंद्रो को चक्र कहा जाता है। जो मूलाधार यानी क‍ि शरीर के प्रारंभिक बिंदु पर, स्वाधिष्ठान यानी क‍ि गुदास्थान से कुछ ऊपर, मणिपुर यानी क‍ि नाभि , अनाहत यानी ह्दय, विशुद्ध यानी कंठ, आज्ञा यानी मत्‍था ललाट, दोनों नेत्रों के मध्य में  और सहस्रार यानी शिखा केंद्र पर हैं। इन सात चक्रों से इन सात शरीरों स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर, मानस शरीर, आत्मिक शरीर, दिव्य शरीर और ब्रह्म शरीर का जुड़ाव होता है।
पहले फेरे में वचन:
पहले फेरे में वधू वर से वचन मांगती है क‍ि क‍ि अगर वह कहीं भी तीर्थ यात्रा या फ‍िर कहीं घूमने जाएं तो उसे भी अपने साथ लेकर जाएं। इसके अलावा हर व्रत-उपवास और धर्म कर्म में उसे जरूर भागीदार बनाएं।
दूसरे फेरे में वचन: 
दूसरे फेरे में वधू वर से दूसरा वचन मांगती है कि जिस प्रकार वह अपने अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं। उसके माता-पिता और पर‍िजनों का सम्मान करें। इसके अलावा कुटुम्ब की मर्यादा को बनाएं रखें।
तीसरे फेरे में वचन:
इस तीसरे फेरे के तीसरे वचन में वधू वर से कहती है क‍ि वह उसे ये वचन दे कि वह उसको जीवन की तीनों अवस्थाओं  युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था  में उसका ख्‍याल रखेगा।
चौथे फेरे में वचन: 
चौथे फेरे में वधू वर से चौथा वचन ये मांगती है क‍ि अब तक वह यानी क‍ि वर घर-परिवार की चिन्ता से पूर्णत: मुक्त था। जबकि अब विवाह बंधन में बंधने के बाद परिवार की समस्त आवश्यकताओं को पूरा करने का वचन दे।
पंचवें फेरे में वचन: 
इस पांचवें फेरे में वूध कहती है वह यानी क‍ि वर उससे अपने घर के सभी कार्यों में, वि‍वाह, लेन-देन सामूह‍िक आयोजनों या अन्‍य किसी कार्य में खर्च करते समय उसकी रजामंदी जरूर ले।
छठवें फेरे में वचन: 
इसमें वधू कहती है क‍ि यद‍ि वह अपनी सहेल‍ियों या अपने पर‍िजनों के समक्ष बैठी है तो वह वहां पर कभी उसका अपमान नहीं करेगा। इसके अलावा वह हमेशा जुआ और शराब जैसे व‍िभि‍न्‍न प्रकार के दुर्व्यसन से दूर रहने का वचन दे।
सातवें फेरे में वचन:
सातवें फेरे में वधू वर से यह मांगती है कि आप कभी दूसरी स्त्रियों को नहीं देखेंगे। उन्‍हें हमेशा माता के समान समझेंगे। उनके आपसी र‍िश्‍ते में क‍िसी और हस्‍ताक्षेप नहीं होगा। प्‍यार की कमी नहीं होगी।

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