आज जब समूचा भारत 26 जनवरी को अपना 70वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहा है। ऐसे में संविधान के रचयिताओं को याद ना किया जाये तो यह उनके प्रति भारत को दिए गए इस गौरव का अपमान होगा। जब कभी भी संविधान का नाम आता है,तो बाबा साहेब आंबेडकर का जिक्र किया जाता है। लेकिन इस दौरान हम सभी लोग उन 15 महिलाओं को भूल जातें हैं जिन्होंने इस संविधान के कई अध्याय लिखे।
ये बात बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि 15 महिलाएं भी भारत की संविधान सभा की सदस्य थीं। जिन्होंने संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई। इन महिलाओं में दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर, हंसा मेहता, बेगम ऐजाज रसूल, अम्मू स्वामीनाथन, सुचेता कृपलानी,दक्षायनी वेलायुधन, रेनुका रे,पूर्णिमा बनर्जी, एनी मसकैरिनी, कमला चौधरी, लीला रॉय, मालती चौधरी, सरोजिनी नायडू व विजयलक्ष्मी पंडित शामिल थी।
राजकुमारी अमृत कौर सलाहकार समिति व मौलिक अधिकारों की सदस्य
2 फरवरी 1889 में तत्कालीन संयुक्त प्रांत व वर्तमान उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मी राजकुमारी अमृत कौर(Rajkumari Amrit Kaur)ने स्वतंत्रता की लडा़ई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। आजादी भारत में प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू कैबीनेट में देश की पहली महिला कैबिनेट मिनिस्टर (स्वास्थ्य मंत्री) बनीं। वह संविधान सभा की सलाहकार समिति व मौलिक अधिकारों की उप समिति की सदस्य थीं। सभा में वह सेंट्रल प्राविंस व बेरार की प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुई थीं।
बेगम एजाज रसूल मौलिक अधिकारों व अल्पसंख्यक उपसमिति की सदस्य
वर्ष 1908 में पंजाब के संगरूर जिले में जन्मी बेगम एजाज रसूल (Begum Aizaz Rasul) अपने पति के साथ अल्पसंख्यक समुदाय की महत्वपूर्ण राजनीतिज्ञ बनकर उभरीं। वो मुस्लिम लीग की सदस्य थीं। बेगम एजाज रसूल उत्तर प्रदेश विधानसभा की भी सदस्य रही। बेगम रसूल संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थी,जो सभा की मौलिक अधिकारों की सलाहकार समिति व अल्पसंख्यक उप समिति की सदस्य थीं। उन्होंने मौलाना अबुल कलाम आजाद के साथ मिलकर धार्मिक आधार पर पृथक निर्वाचन की मांग का विरोध किया था।
अम्मू स्वामीनाथन संविधान सभा में ये मद्रास की प्रतिनिधि
वर्ष 1894 में केरल के पल्लकड़ जिले में जन्मी अम्मू स्वामीनाथन (Ammu Swaminathan) एक सामाजिक कार्यकर्ता, स्वंत्रता संग्राम सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं। संविधान सभा में ये मद्रास की प्रतिनिधि थीं। अम्मू स्वामीनाथन को आजाद हिंद फौज की सदस्य कैप्टन लक्ष्मी सहगल की मां के तौर पर भी जाना जाता है।
दक्षायनी वेलायुधन संविधान सभा की दलित महिला सदस्य
दक्षायनी वेलायुधन (Dakshayani Velayudhan) का जन्म 1912 में कोचिन में हुआ। ये एक दलित समुदाय से थीं। दक्षायनी वेलायुधन संविधान सभा की एकमात्र दलित महिला सदस्य थीं। वो 1946 से 1952 तक प्रोविजनल पार्लियामेंट की मेंबर रहीं।
हंसा मेहता संविधान सभा की मौलिक अधिकारों की सदस्य
हंसा मेहता (Hansa Mehta) एक समाज सेविका,स्वतंत्रता सेनानी,कवयित्री होने के साथ-साथ अच्छी लेखिका थीं। हंसा मेहता 1946 में ऑल इंडिया वुमन कांफ्रेंस की अध्यक्ष बनी। संविधान सभा में मुंबई के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हंसा मेहता संविधान सभा की मौलिक अधिकारों की उप समिति की सदस्य थी। उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा में ‘ऑल मेन आर बॉर्न फ्री एंड इक्वल’ को बदलकर ‘ऑल ह्यूमन बीइंग आर बॉर्न फ्री एंड इक्वल’ करवाने के अभियान के लिए भी जाना जाता है।
दुर्गाबाई देशमुख संविधान सभा की कानूनी सलाहकार समिति की सदस्य
15 जुलाई 1909 को आन्ध्र प्रदेश के राजमुंदरी में जन्मी दुर्गाबाई देशमुख (Durgabai Deshmukh) न सिर्फ देश को आजादी दिलाने में बल्कि समाज में महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ती रही। भारत के दक्षिणी इलाकों में महिलाओं को शिक्षित करने के इरादे से उन्होंने ‘बालिका हिन्दी पाठशाला’ की शुरुआत भी किया था। 12 साल की छोटी सी उम्र में वह असहयोग आंदोलन का हिस्सा बनीं। अधिवक्ता होने के नाते वो संविधान सभा की कानूनी सलाहकार समिति की सदस्य थी।