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शोध: कोल्ड ड्रिंक पीना किया बंद तो कुछ ही दिनों में कम हो सकती है पेट की चर्बी

हाल के वर्षों में देशभर के अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों ने मोटापा और मधुमेह को कम करने के प्रयास में चीनी युक्त पेय पदार्थ बेचना बंद कर दिया है. अब सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में किए गए एक नए अध्ययन ने अपने कर्मचारियों पर सोडा बिक्री प्रतिबंध के स्वास्थ्य प्रभाव का आंकलन किया है. बिक्री प्रतिबंध लागू होने के दस महीने बाद यू.सी.एस.एफ. ने बहुत सारे पेय पदार्थ पीने के लिए जाने वाले श्रमिकों पर अध्ययन किया है. अध्ययन अवधि के अंत तक समूह ने औसतन अपनी कमर के आकार और पेट की चर्बी को कम किया हालांकि उन्होंने अपने बॉडी मास इंडेक्स में कोई बदलाव नहीं देखा.

जिन लोगों ने शक्कर वाले पेय पदार्थों को कम किया है उसके इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार हुआ है. JAMA इंटरनल मेडिसिन में सोमवार को प्रकाशित नए शोध में कहा गया है कि शुगर ड्रिंक्स बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से पेय पदार्थों की खपत कम हो सकती है और कर्मचारी स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं. कम से कम नौ अन्य कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय परिसरों ने कहा है कि वे चीनी पेय की बिक्री को कम करने और पानी की खपत को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह की पहल करने जा रहे हैं.

हाल के वर्षों में चीनी और मोटापे के बीच की कड़ी ने वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकियों ने चापलूसी की है क्योंकि वे सभी प्रकार की बहुत अधिक कैलोरी का उपभोग कर रहे हैं. हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार स्पोर्ट्स ड्रिंक, फ्रूट पंच, सोडा और अन्य मीठे पेय कैलोरी का सबसे बड़ा स्रोत है और अमेरिकी आहार में चीनी और मोटापा महामारी के लिए जिम्मेदार है. आलोचकों का कहना है कि पिछले 16 वर्षों में अमेरिका में चीनी-मीठे पेय पदार्थों के सेवन के बावजूद भी मोटापे की दर में वृद्धि जारी है.

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