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नई शिक्षा नीति में मातृभाषा का सम्मान

         डॉ.दिलीप अग्निहोत्री

दुनिया के सभी विकसित देशों ने अपनी मातृभाषा को ही प्रगति का माध्यम बनाया। जबकि भारत की सभी भाषाएं अत्यंत समृद्ध है। संस्कृत तो दुनिया की सबसे पुरानी,सर्वाधिक वैज्ञानिक और सर्वाधिक समृद्ध भाषा है। नासा के वैज्ञानिकों ने भी इसकी वैज्ञानिकता को स्वीकार किया है।

इसके दृष्टिगत अनेक शोध कार्य संचालित हो रहे है। परतंत्रता के दौर में भारतीय भाषाओं का शैक्षणिक महत्व कम हुआ। आजादी के बाद भी इस स्थिति को सुधारने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को उचित महत्व दिया। प्रारंभिक शिक्षा का यह माध्यम बनेगी। उच्च शिक्षा में भी इसका महत्व व उपयोग बढ़ेगा।

राज्यपाल ने बताया महत्व

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि भारतीय भाषाओं का समन्वय ही देश के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा और यही विश्व को जोड़ने वाला सशक्त माध्यम है। भारत जैसे गणतंत्र में एकता और स्थायित्व बनाने के लिये भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। आनन्दी बेन पटेल ने ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय,लखनऊ में स्टडी सेन्टर एवं स्टूडेन्ट फैसिलिटी सेन्टर के उद्घाटन किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की भाषा उसका गौरव होती है। राष्ट्र की संस्कृति और अस्मिता की पहचान उसकी भाषा से होती है। विश्व में वही देश और समाज प्रतिष्ठा का पात्र होता है,जो अपनी भाषा और अपने संस्कारों का अभिमानी होता है।

व्यापक हुआ दायरा

ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना सीमित उद्देश्य को ध्यान में रख कर की गई थी। लेकिन समय के साथ विश्वविद्यालय ने अपना दायरा बढ़ाया है। अपने राज्यपाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने अपने नाम में परिवर्तन कर कुछ भाषाओं की जगह सभी भाषाओं को बढ़ावा देने का प्रावधान किया है।

विश्वविद्यालय द्वारा अब हिन्दी,अंग्रेजी उर्दू,अरबी तथा फारसी के साथ साथ संस्कृृत भाषा के भी पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं। आनन्दी बेन ने कहा कि मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि विश्वविद्यालय में टर्किस पाली,प्राकृत एवं अन्य भाषाओं के लिये भी एक विस्तृत कमेटी बना दी गयी है। जिसमें विभिन्न प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के भाषा विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।

सुविधाओं का विस्तार

राज्यपाल ने इस अवसर पर दो भवनों का भी लोकार्पण किया। इनमें से एक रूसा के अनुदान से तैयार किया गया अध्ययन केन्द्र है तथा दूसरा छात्र सुविधा केन्द्र है, जिसमें विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की सुविधा के लिये बैंक,कैन्टीन, स्टेशनरी व फोटोकापी जैसी सुविधायें हैं। इसके साथ ही इस सेन्टर से एनसीसी तथा एनएसएस की विभिन्न गतिविधियों को संचालित करने की व्यवस्था है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने इस वर्ष विश्वविद्यालय की ओर से गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने वाले दो एनसीसी कैडेट्स को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अध्ययन केन्द्र और छात्र सुविधा केन्द्रों का फायदा हमारे विद्यार्थिंयों को अवश्य प्राप्त होगा।

सराहनीय सेवाकार्य

आनन्दी बेन पटेल शिक्षण संस्थाओं व विद्यार्थियों को सेवा कार्यों की भी प्रेरणा देती है। विश्वश्विद्यालय की एनएसएस इकाई द्वारा पांच गाँव गोद लिये हैं। आनन्दी बेन पटेल ने इसकी सराहना की। वहाँ पर जागरूकता एवं शैक्षिक गतिविधियाँ चलायी जा रही है। इसके साथ ही टीबी ग्रसित जो बच्चे गोद लिये थे,उनकी शिक्षा एवं स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जो प्रयास किये जा रहे हैं। राज्यपाल ने इन कार्यो की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जो आंगनबाड़ी केन्द्र गोद लिये गयेे हैं, उनमे पंजीकृृत बच्चों के उत्थान एवं उनके कुपोषण की दिशा में भी समुचित कार्य किये जायेंगे।

उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिये यह आवश्यक है कि हमें गर्भवती महिलाओं बच्चों और किशोरियों को स्वस्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूक करना होगा। हम सभी को आने वाली पीढ़ी के लिये स्वास्थ्य, पोषण,पीने का शुद्ध पानी, स्वच्छता तथा अच्छी शिक्षा आदि पर भी विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने अपील की कि सभी विश्वविद्यालय महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों के उत्थान में इसी प्रकार सहयोग करें ताकि हमारा उत्तर प्रदेश राज्य शीघ्र ही कुपोषण मुक्त हो सके। इस अवसर पर राज्यपाल ने आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों को फल,बैग तथा अन्य उपहार भेंट किये।

उप मुख्यमंत्री का गुणवत्ता पर बल

समारोह को उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने भी संबोधित किया। कहा कि पठन पाठन में गुुणवत्ता सुधार अति आवश्यक है। भवन भले अच्छा न हो लेकिन शिक्षक और शिक्षार्थी बहुत अच्छे होने चाहिए, यह तभी संभव है जब शिक्षक तथा विद्यार्थियों में सुन्दर समन्वय हो। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार व नकल विहीन परीक्षा के प्रति कटिबद्ध है।

इसके दृष्टिगत उल्लेखनीय सफलता भी मिली है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की शिक्षा को प्रतिष्ठा मिल रही है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने कहा कि ज्ञान विज्ञान तथा संचयन भाषा के बिना संभव नही है। भाषाओं पर शोघ नितांत जरूरी है जिसके लिये विश्वविद्यालय में प्रयास किये जा रहे हैं।

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