प्रकाश मेहरा (Prakash Mehra) की फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ (Film ‘Muqaddar Ka Sikandar’) में गीतकार अनजान के लिखे शीर्षक गीत का अंतरा है, ‘हमने माना ये जमाना दर्द की जागीर है, हर कदम पे आंसुओं की एक नई जंजीर है, साज ए गम पर जो खुशी के गीत गाता जाएगा, वो मुकद्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा…!’ सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म ‘सिकंदर’ अनजान की इन्हीं लाइनों पर बनी फिल्म है।
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बेसिक आइडिया फिल्म ‘एनिमल’ में रणविजय के हार्ट ट्रांसप्लांट से उठाया गया है, बाकी जो है सब सलमान खान है। अनजान के बेटे समीर ने ‘सिकंदर’ के गाने लिखे हैं और फिल्म के क्रेडिट्स में म्यूजिक उस्ताद के तौर पर परोसे गए प्रीतम ने पूरी फिल्म में एक गाना ऐसा नहीं बनाया है जिसकी उम्र अगली ईद तक की नजर आती हो। अगर अब भी ये फिल्म देखने की आपने जिद कर रखी है तो कोई बात नहीं लेकिन उसके पहले ये पूरा रिव्यू जरूर पढ़ लीजिए।
अब राजकोट के राजासाब बने सलमान
जमाना रहा है जब सलमान खान की फिल्म कैसी भी हो, कम से कम उसका पहला शो तो हाउसफुल होता ही था। ‘जय हो’, ‘रेस 3’, ‘दबंग 3’, ‘टाइगर 3’ जैसी तमाम फिल्में हैं जो सिर्फ सलमान खान के होने भर से भीड़ खींच लाती रही हैं। फिल्म ‘सिकंदर’ इसी चक्कर में इतवार को रिलीज हुई है। लेकिन, ईद अब भारत मे सोमवार को है लिहाजा इतवार यानी रिलीज के दिन सिनेमाहाल खाली खाली ही नजर आए।
कहानी वहीं से शुरू हो रही है, जहां कोई 10 साल पहले सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ खत्म हुई थी। सलमान खान फिर रियासत के राजा के रूप में हैं। संजय राजकोट नाम है उनका, लोग उन्हें राजा साब बुलाते हैं। देश में मौजूद कुल सोने के 25 फीसदी के मालिक हैं। उम्र से कहीं कम एक युवती को बचाने के लिए उससे शादी करते हैं और ये किस्सा क्या था, न रानी साहिबा बताती हैं, न निर्देशक मुरुगादॉस..!