लखनऊ। समाजवादी चिन्तक आले पंजातन जैदी एक सेकुलर राजनेता थे। उनकी सियासत, समाजवादी मूल्यों के उसूलों से काफी करीब थी। जैदी साहब लोकदल के संस्थापक सदस्यों में से थे। ए.पी. जैदी जैसे सियासतदां सदियों में पैदा होते हैं। यह बात गांधी भवन में समाजवादी चिन्तक एवं सामाजिक कार्यकर्ता ए.पी. जै़दी की पांचवी बरसी पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट, बाराबंकी के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कही। श्री शर्मा ने बताया कि जै़दी साहब हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के राजनीतिक सलाहकार एवं सहयोगी रहे। उन्होने शरद यादव को राजनीति में लाने के लिए प्रेरित किया और देशभर में उनकी पहचान बनवायी। सियासत में सक्रिय उन्होंने कई सियासतदां को तैयार किया।
जबकि व्यावहारिक सच्चाई यह थी कि उन्होंने कभी किसी दल से चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मांगा, बल्कि खुद पार्टियां उनके घर पहुंच कर सियासी राय मशविरा करने आती थी। श्री शर्मा ने कहा कि जैदी साहब हमेशा अपनी जिद्द और अपनी शर्तों पर राजनीति करते थे। कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते बल्कि उन्हें सम्मान देने वाले उनके सामने लाइन में खड़े रहते हैं। जैदी साहब के विचार ही समाज में परिवर्तन ला सकते हैं। जब तक युवा जैदी साहब जैसी जिद और शर्तों पर सियासत नहीं करेगा तब तक उस समाज को दबाया जाता रहेगा। जैदी साहब की सियासत से नयी नस्ल को सबक लेने की जरूरत है।
श्री शर्मा ने कहा कि जैदी साहब बड़े सुसंस्कृत और पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। वे क्षुब्ध थे, भारत पाकिस्तान विभाजन से। यह कौमी विभाजन उनके ह्रदय में शूल की तरह चुभता रहा। जैदी साहब वैचारिक रूप से समाजवादी थे। जैदी साहब के बेहद करीबी रहे गोरखा शहीद सेवा समिति के संरक्षक रिजवान रजा बताते हैं कि जैदी साहब सांप्रदायिक सदभाव कैसे मजबूत हो इस पर एक से बढ़कर एक उपाय किया करते रहते थे।
जैदी साहब गरीबों, शोषितों और जरूरतमंद लोगों की आवाज बन गये थे। वह समाज के दबे कुचले लोगों की तकदीर बदलना चाहते थे। इस मौके पर प्रमुख रूप से वासिक रफीक वारसी, आसिफ हुसैन, मृत्युंजय शर्मा, विनय कुमार सिंह, पाटेश्वरी प्रसाद, सत्यवान वर्मा, हुमायूं नईम खान, विजय कुमार सिंह, मनीष सिंह, नीरज दूबे, रवि प्रताप सिंह, रंजय शर्मा, पी.के सिंह, ज्ञान शंकर तिवारी, अनिल यादव सहित कई लोग मौजूद रहे।