अमेरिका समेत कई देशों में मंदी का दौर चल रहा है। कई बड़ी कंपनियां कर्मचारियों को निकाल रही हैं। ऐसे में दक्षिण कोरिया की बड़ी टेक कंपनी सैमसंग भी वैश्विक स्तर पर बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक दुनियाभर में अपने कर्मचारियों की वर्कफोर्स में 30 फीसदी की कमी करने की योजना बना रही है। ऐसे में सैमसंग की इस योजना से सैकड़ों कर्मचारियों को बड़ा झटका लग सकता है।
इन क्षेत्रों पर पड़ेगा सबसे अधिक असर
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सैमसंग द्वारा कर्मचारियों को निकालने का असर प्रशासनिक, सेल्स, मार्केटिंग स्टाफ पर पडे़गा। यह कर्मचारी अमेरिका, यूरोप, एशिया और अफ्रीका क्षेत्र में सबसे ज्यादा दिखाई देगा। कंपनी की यह योजना साल के अंत तक पूरी हो सकती है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि सैमसंग दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों में एक है। इसके साथ ही कंपनी टीवी और मेमोरी चिप्स का भी निर्माण करती है। इस संबंध में कंपनी ने कहा है कि कंपनी के इस निर्णय से वर्कफोर्स में एडजेस्टमेंट होगा और साथ ही काम की एफिशियंसी में भी सुधार देखने को मिलेगा।
सैमसंग के दुनियाभर में कर्मचारी
रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि कंपनी ने वैश्विक स्तर पर कर्मचारियों को निकालने का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है। ऐसे में कंपनी के प्रोडक्ट तैयार करने वाले कर्मचारी इस योजना से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैमसंग के दुनियाभर में 267800 कर्मचारी हैं, इनमें से आधे से अधिक कर्मचारी दक्षिण कोरिया से बाहर कार्य करते हैं।
सैमसंग की सेल्स और मार्केटिंग टीम में लगभग 25100 कर्मचारी हैं, जो कंपनी का काम देखते हैं। वहीं, हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, सैमसंग के प्रशासनिक कामों के लिए 27800 कर्मचारी शामिल हैं। बीते कुछ समय से सैमसंग कई चुनौतियों का सामना कर रही है। रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि कंपनी बीते 15 सालों में सबसे कम राजस्व जुटाया है। इसके साथ ही कंपनी का चिप बिजनेस भी काफी नीचे गिर गया है, इस वजह से कंपनी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
भारत और चीन भी होंगे प्रभावित
रिपोर्ट्स में यह बताया जा रहा है कि भारत में भी सैमसंग की इस योजना का असर देखने को मिलेगा। बताया जा रहा है कि सैमसंग ने इस संबंध में भारत में मिड लेवल के कर्मचारियों को अच्छा पैकेज देना शुरू कर दिया है। साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि भारत में लगभग एक हजार कर्मचारियों को निकाला जाएगा।