हिंदुस्तान में स्तन कैंसर पीड़ित एक तिहाई स्त्रियों की असमय मौत हो जाती है. कारण एक ही है, बीमारी का देरी से पता चलना, क्योंकि कैंसर के स्टेज 4 तक पहुंचते-पहुंचते मरीज के बचने की आसार महज 22% रह जाती है.
स्तन कैंसर के शून्य से चार तक, पांच चरण होते हैं. 0 व 1 चरण के कैंसर में मरीज के जीवित रहने की आसार 100% होती है, वहीं जीवित रहने की यह आसार चरण 2 में 93%, चरण 3 में 72% व चरण 4 में घटकर 22% तक रह जाती है.
भारत में स्तन कैंसर से बचने की दर 66 प्रतिशत है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 80 प्रतिशत है. देश में स्तन कैंसर की मौत दर को कम करने का उपाय है इसके नियमित परीक्षण के बारे में जागरुकता फैलाना. यही कारण है कि अक्टूबर को दुनियाभर में स्तन कैंसर जागरुकता माह के रूप में मनाया जा रहा है.
जानिए स्तन कैंसर के बारे में महत्वपूर्ण बातें व समय रहते इसका पता लगाने के लिए क्या किया जाना चाहिए –
स्तन कैंसर के शुरुआती चरण कौन-से हैं?
स्टेज 0, जिसे कार्सिनोमा इन-सीटू (सीआईएस) के रूप में भी जाना जाता है, एक प्री-कैंसर स्टेज है जब “एटिपिकल” सेल्स स्तनों में लोब्यूल या दूध नलिकाओं को प्रभावित करना प्रारम्भ करती हैं. लोब्यूल वह स्थान है जहां स्तन में दूध बनता है, व नलिकाएं उन्हें निपल्स तक ले जाती हैं.
चरण 1 में, कैंसर 2 सेमी से छोटा होता है, लेकिन फैला हुआ नहीं होता है. अथवा ट्यूमर छोटे होते हैं, लेकिन दो या तीन लिम्फ नोड्स में फैल चुके होते हैं. संक्षेप में, कैंसर जन्म ले चुका होता है. रेडिएशन या सर्जरी, या दोनों से इसका उपचार है. इस स्तर पर, चिकित्सक आमतौर पर कीमोथैरेपी की आवश्यकता नहीं समझते हैं.
परेशानी यह है कि इस स्टेज पर कैंसर का पता लगाना कठिन है, जब तक कि मरीज खुद अपनी जाँच न करे या नियमित रूप से चिकित्सक के पास जाकर जाँच न करवाए. निश्चित रूप से हिंदुस्तान में इसके बचाव की दवाओं का चलन बढ़ा है, इसलिए भारतीय स्त्रियों के लिए उम्मीद बढ़ी है व ठीक जानकारी होने से इस कैंसर का समय रहते पता लगाया जा सकता है.