लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने देश में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट को लेकर केंद्र सरकार को अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह विफल करार देते हुए पूछा कि यह आर्थिक मंदी नहीं तो क्या है? भारत की जीडीपी वृद्धि दर बीते छह साल में निचले स्तर पर है, अगर यह आर्थिक मंदी नहीं तो यह क्या है।”
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह विफलता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जीडीपी नीचे आ रही है, अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में गिरावट है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था तबाह कर दी गयी और बेरोजगारी बढ़ रही है। उससे भी बदतर यह है कि वे यह मान ही नहीं रहे कि उनकी गलत नीतियां अर्थव्यवस्था को कैसे नष्ट कर रही हैं।”
केंद्र सरकार अर्थव्यस्था के प्रबंधन के मामले में विशेषज्ञों की राय भी नहीं लेना चाहती। श्री सिंह ने कहा है, “उनके पास ज्ञान की कमी है और विशेषज्ञों की सलाह वे ले नहीं रहे। आस्तियां बेचना और मुद्रा भंडार को खाली करना ही उनके पास अर्थव्यवस्था के प्रबंधन का एकमात्र उपाय दिखता है। ’ऐसे में भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के उनके दावों पर कौन विश्वास करेगा’।”