लखनऊ। डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (SMNRU) के प्रशासनिक भवन सभागार में डॉ भीमराव आंबेडकर की 134 वीं जयंती (Ambedkar’s 134th Birth Anniversary) के अवसर पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी (National Seminar) का आयोजन कुलपति आचार्य संजय सिंह (VC Acharya Sanjay Singh) की अध्यक्षता में किया गया। कुलपति ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि बुद्धि एवं ज्ञान का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। बाबा साहब की तर्कसंगतता इसका सबसे सटीक उदाहरण है।
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कुलपति आचार्य संजय सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना आधुनिक भारत के निर्माण का आईना है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ जिसके साथ डॉ अंबेडकर ने एक नए भारत की बुनियाद रखी।
इसलिए वे आधुनिक भारत के निर्माता है जो स्थान अमेरिका की दास प्रथा को समाप्त करने में अब्रह्मलिंकन का था, वही स्थान भारत को सामाजिक गुलामी से मुक्त करने में बाबा साहब का है।
संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए राजनीतिक विश्लेषक एवं ‘भेदभाव छोड़ो भारत जोड़ो’ अभियान के सूत्रधार अनुभव चक ने कहा कि राष्ट्रनायक बाबा साहेब 20वीं सदी के एक ऐसे महापुरुष हैं, जिनकी प्रासंगिकता राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
हम दलितों का नेता कहकर उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन कम कर देते हैं। उनके द्वारा बनाया गया संविधान समूचे राष्ट्र के लिए है।
संगोष्ठी को बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित करते हुए भिक्खू प्रज्ञासार महाथेर ने कहा कि हमें प्रतिक्षण जागृत रहना चाहिए।
भाग्य में विश्वास रखने के बजाए अपनी शक्ति और कर्म में विश्वास रखना चाहिए। हमारी सम्यक दृष्टि एवं संकल्प हमें प्रतिक्षण जगाकर रखते हैं। प्रज्ञा शील एवं करुणा ही जीवन का मूलमंत्र है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व सदस्य राजकिशोर वर्मा ने कहा कि वीमेन लिबरेशन का इतिहास बाबा साहब के बिना अधूरा है।
उन्होंने सिर्फ दलितों के लिए ही नहीं बल्कि सभी वर्ग की महिलाओ को सामाजिक गुलामी से मुक्ति के लिए अभियान चलाया। हिंदू कोड बिल इसका सबसे बेहतरी उदाहरण है।
संगोष्ठी के प्रारंभ में स्वागत वक्तव्य प्रो यशवंत वीरोदय,समापन पर धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव रोहित सिंह एवं सञ्चालन डॉ विजेता दुआ द्वारा किया गया। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो पी राजीव नयन, कुलानुशासक प्रो सीके दीक्षित, अधिष्ठाता कला संकाय प्रो अवनीश चंद्र मिश्रा, निदेशक शोध एवं विभाग प्रो अश्विनी दुबे, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ आशुतोष पाण्डेय, उप कुलसचिव अनिल मिश्रा, डॉ आद्याशक्ति राय, डॉ पुष्पेंद्र सिंह, डॉ सुधा राव, डॉ विभा तिवारी समेत सभी शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।