Breaking News

शरद पवार का शर्मनाक बयान

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

सरकार के विरोध में आंदोलन करने के विपक्ष को पूरा अधिकार है। लेकिन इसमें पूर्वाग्रह व अंधभक्ति नहीं होनी चाहिए। अन्यथा ऐसा विरोध अंततः जग हंसाई व फजीहत ही कराता है। किसानों के नाम पर चलने वाले आंदोलन समर्थकों की यही दशा है। पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार का बयान केवल हास्यास्पद ही नहीं शर्मनाक है। उनके हिसाब से लता मंगेशकर व सचिन तेंदुलकर को केवल अपने काम से मतलब रखना चाहिए।

उन्हें किसानों के नाम पर चलने वाले आंदोलन पर नहीं बोलना चाहिए। लेकिन इन्हीं शरद पवार को विदेशी गायकों मॉडलों के बयानों पर कोई आपत्ति नहीं है। पवार की नजर में इन विदेशियों को भारत के आंतरिक विषय पर हस्तक्षेप का अधिकार है,लेकिन लता मंगेशकर सचिन तेन्दुलकर अपनी बात नहीं रख सकते। जबकि विदेशियों के बयानों पर किसी भारतीय को गुस्सा ना आये,यह शर्म की बात है। लता मंगेशकर सचिन तेंदुलकर सहित बहुत से लोगों ने विदेशियों के बयान पर आपत्ति दर्ज कराई थी।

पवार का भी U टर्न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कृषि सुधारों पर कांग्रेस को उसका अतीत याद दिलाया था।मोदी ने कांग्रेस पर यू टर्न का आरोप लगाया था। जो बात कृषि कानून में कही गई,उसका वादा कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किया था। यूपीए में कृषि मंत्री रहे शरद पवार भी ऐसे ही सुधारों के पैरोकार थे। पवार ने मुख्यमंत्रियों से उनके राज्यों में एपीएमसी कानून में संशोधन करने को कहा था जिससे निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। उनका कहना था कि कृषि क्षेत्र को अच्छी तरह संचालित बाजारों की जरूरत होगी। इसके लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है।

रिहाना,ग्रेट आदि से हमदर्दी

किसानों के नाम पर चल रही विदेशी प्रतिक्रियाओं भारतीय सम्प्रभुता के प्रतिकूल है। इनका तो प्रत्येक स्तर पर होना चाहिए था। इनको बताना चाहिए था कि भारत के आंतरिक मसलों पर उनके बयान अनावश्यक है। भारत को अपने मसले सुलझाने के लिए इस प्रकार के लोगों को कोई जरूरत नहीं है। यह तो राष्ट्रीय सहमति का विषय होना चाहिए था। लेकिन आंदोलन से जुड़े लोग इस राष्ट्रीय सहमति में शामिल नहीं है। किसी ने भी इन छिछले बयानों की निंदा नहीं की। इसके विपरीत यह लोग देश की सम्मानित हस्तियों पर हमला बोल रहे है।

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को किसानों के बारे में बोलने के दौरान काफी सावधानी बरती चाहिए। अमेरिकी गायिका रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित कुछ विदेशी शख्सियतों के प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में ट्वीट के बाद तेंदुलकर और प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर सहित विभिन्न हस्तियों ने सोशल मीडिया पर इंडिया टुगैदर और इंडिया अगेन्स्ड प्रोपेगैंडा हैश टैग से सरकार के रुख के समर्थन में ट्वीट किए थे।

शरद पवार ने सचिन तेंदुलकर लता मंगेशकर को सुझाव दिया। कहा कि उन्हें अन्य क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर बयान देने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों को खालिस्तानी और आतंकवादी कहकर आंदोलन को बदनाम कर रही है। ये प्रदर्शनकारी किसान हैं जो हमारे देश का पेट भरते हैं। इसलिए इन्हें खालिस्तानी या आतंकवादी कहना उचित नहीं है। शरद पवार का यह बयान शर्मनाक है। किसी ने भी किसानों को खालिस्तानी या आतंकवादी नहीं कहा। लेकिन यह सच्चाई है कि इसी आंदोलन में खालिस्तान के झंडे दिखाई दिए थे,यह भी सच है कि इसी आंदोलन के लोगों ने लालकिले पर अराजकता फैलाई थी। इसके लिए शरारती ढंग से गणतंत्र दिवस का दिन चुना गया था। ऐसे लोग किसान नहीं हो सकते। देश या सरकार की नाराजगी इन्हीं के प्रति थी।

शरद पवार का बयान अनुचित होने के साथ हास्यास्पद भी है। उन्होंने अपने देश के निर्विवाद व लोकप्रिय देशभक्तों पर तो हमला बोला। किसानों के मसले पर संभल कर बोलने का सुझाव दिया। लेकिन यही शरद पवार विदेशियों के प्रति हमदर्दी दिखा रहे है। इनके बयान का मतलब यह है कि लता मंगेशकर व सचिन तेंदुलकर आदि को तो संभल कर बोलना चाहिए,लेकिन अली खलीफा,अमेरिकी गायिका रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग और कनाडा पाकिस्तान के भारत विरोधी बेअन्दाज होकर कुछ भी बोल सकते है। शरद पवार अपने को भी देखें। वह किसान राजनीति के बल पर आज जिस मुकाम पर है वहां से देश के गरीब किसान नजर ही नहीं आ सकते।

About Aditya Jaiswal

Check Also

मतदान न हो लू से प्रभावित, टास्क फोर्स रखेगी नजर, रोज जारी होगा पूर्वानुमान

नई दिल्ली:  देश के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान और लू चलने के ...